भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य,गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 2 मार्च, 2025 को श्री शिवप्रसाद धुर्वे एवं साथी- अनूपपुर द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा, श्री घनश्याम भट्ट एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रदर्शन एवं सुश्री श्वेता गुंजन जोशी एवं साथी- धार भक्ति गायन की प्रस्तुति दी गई। गतिविधि में सर्वप्रथम श्री शिव प्रसाद धुर्वे एवं साथी, अनूपपुर द्वारा गोण्ड जनजातीय नृत्य गुदुमबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गुदुमबाजा नृत्य गोण्ड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। समुदाय में गुदुम वाद्य वादन की सुदीर्घ परम्परा है। विशेषकर विवाह एवं अन्य अनुष्ठानिक अवसरों पर इस समुदाय के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाता है। इस नृत्य में गुदुम, डफ, मंजीरा, टिमकी आदि वाद्यों के साथ शहनाई के माध्यम से गोण्ड करमा और सैला गीतों की धुनों पर वादन एवं रंगीन वेशभूषा और कमर में गुदुम बांधकर लय और ताल के साथ, विभिन्न मुद्राओं में नृत्य किया जाता है। अगले क्रम में श्री घनश्याम भट्ट एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रदर्शन किया गय। कलाकारों ने पारंपरिक राजस्थानी लोक नृत्य एवं लघु कथाओं-गीतों के माध्यम से कठपुतली प्रदर्शन किया।
गतिविधि में वरिष्ठ कलाकार श्री उदय सेवक, गुजरात द्वारा कलाकारों का स्वागत किया गया। इसके बाद सुश्री श्वेता गुंजन जोशी एवं साथी- धार द्वारा भक्ति गायन किया गया। उन्होंने चिदानंद रूपा शिवोहम शिवोहम (राग बैरागी भैरव )…., अमृत है गुरु नाम जगत में ( राग काफी)…, खेले मसाने में होरी…, जो भजे हरि को सदा (राग भैरवी)…, प्रेम मुदित मन से कहो (राग दरबारी)…, जैसे कई गीतों की प्रस्तुति दी। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में प्रति रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कला रूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।
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