Advertisement

विक्रमोत्सव 2025: उज्जयिनी नृत्य नाट्य समारोह का तीसरा दिन

उज्जैन : महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत उज्जयिनी नृत्य नाट्य समारोह के तीसरे दिन जगरूप सिंह चौहान निर्देशित नाट्य श्रीकृष्ण उज्जयिनी की प्रस्तुति हुई। इसके पूर्व पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने प्रस्तुति के निर्देशक जगरूप सिंह चौहान, विशाला संस्कृति एवं लोकहित समिति के अध्यक्ष राजेश सिंह कुशवाह, सचिव-विजयेन्द्र वर्मा का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।

     इस प्रस्तुति में श्रीकृष्ण के अवंती प्रवास के दौरान शिका गृहण, गौमती कुण्ड खुदाई, विदेशी आक्रांताओं से बचाना, श्रीकृष्ण सुदामा चने खाने की घटनाओं, मित्रवृंदा स्वयंवर-हरण आदि घटनाओं का सुन्दर समावेश किया गया है। श्रीकृष्ण उज्जयिनी नाटक श्रीकृष्ण के उज्जयिनी से सम्बन्धों को रेखांकित करता है। उज्जयिनी में श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा शिप्रा तट पर सान्दीपनि के आश्रम में आये। यहाँ वे केवल 64 दिन रहें। इस अल्प समय में उन्होंने तत्कालीन समस्त विद्याओं यथा शस्त्र, शास्त्र और कला का सैद्धान्तिक और व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त कर लिया तथा गुरु दक्षिणा में प्रदान किया गुरु का वह पुत्र, जो तीर्थयात्रा के समय समुद्र में लुप्त हो गया था। श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक मित्रवृंदा उज्जयिनी की राजकुमारी थी। श्रीकृष्ण के उज्जयिनी प्रवास काल में ही मित्रवृंदा और श्रीकृष्ण की लीलाओं का भी वर्णन है। लीला की पूर्णता श्रीकृष्ण और मित्रवृंदा के विवाह पर पूर्ण होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *