देवी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
भोपाल। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी, म.प्र. संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा देवी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह के अवसर पर व्याख्यान एवं मुशायरा शायरात “चिलमन” 24 मार्च, 2025 दोपहर 2:00 बजे दुष्यंत संग्रहालय, शिवाजी नगर, भोपाल में आयोजित किया किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने शायरात का स्वागत करने के पश्चात “देवी अहिल्याबाई होल्कर नेतृत्व एवं बुद्धिमत्ता की प्रतीक” विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित “चिलमन” कार्यक्रम का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। यह मंच महिलाओं को अपनी आवाज़ उठाने, समाज में पहचान बनाने, अधिकारों और उपलब्धियों पर चर्चा करने तथा रूढ़ियों को तोड़ने का अवसर देता है। इस वर्ष कार्यक्रम देवी अहिल्याबाई की त्रिशताब्दी को समर्पित है, जो न्यायप्रियता, लोकसेवा और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। उनके नेतृत्व ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और समाज में सक्रिय भूमिका निभाने की प्रेरणा दी।
डॉ नुसरत मेहदी के वक्तव्य के पश्चात महिला मुशायरा आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता अर्चना अंजुम ने की। इस अवसर पर समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डाॅ. मनेन्द्र कटियार का सम्मान किया गया।
मुशायरे में जिन शायरात ने कलाम पेश किया उनके नाम एवं अशआर निम्न हैं।
अर्चना अंजुम (इन्दौर)
आए हैं ज़माने में इज़्ज़त की लगन ले कर
ख़ामोश न बैठेंगे ज़ख़्मों के बदन ले कर
हालात का ग़म किसको मंज़िल की तमन्ना है
बैठेंगे न हम अंजुम रस्ते में थकन लेकर
अलीना इतरत (नोएडा)
जितने तूफ़ान उठाओगे मैं सह सकती हूँ
तेज़ आँधी में लचकने की अदा है मुझमें
मुमताज़ नसीम (दिल्ली)
कर तो लूँ एतराफ़े मोहब्बत तुम फ़साना बना तो ना दोगे ,
मैं तुम्हें ख़त तो लिख दूँ मगर तुम दोस्तों को दिखा तो ना दोगे !
डॉ. अम्बर आबिद (भोपाल)
मिरे सर पर रहे, आँचल तिरी बिंदी सलामत हो
इधर उर्दू फले फूले, उधर हिन्दी सलामत हो
राना ज़ेबा (ग्वालियर)
आज फिर उनके आने की आई खबर
आज फिर दिन निकल आएगा रात में
नम्रता श्रीवास्तव (भोपाल)
ये अदब की महफ़िलें ये रतजगे
तुमसे मिलने का बहाना हो गया
छेड़ नमिता फिर कोई ताज़ा ग़ज़ल
आज मौसम शायराना हो गया
निकहत अमरोहवी (अमरोहा)
ज़ुल्म और सब्र साथ करते हो
दिन में किस तरह रात करते हो
औरतों के हुकूक़ याद नहीं
और तुम हक़ की बात हो।
डॉ. मनेन्द्र कटियार (भोपाल)
हिंदू शोणित से बंग धरा को,
रंजित करते लाज नहीं आती ।
जिस पौरुष से जीवन पाया,
उसे लज्जित करते लाज नहीं आती
तबस्सुम अश्क (उज्जैन)
मत गुमां करो ख़ुद पर क्या रखा है इंसां में
जिस्म ऐसे मिटता है हड्डियां नहीं मिलती
मुशायरे का संचालन डॉ अंबर आबिद ने किया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. नुसरत मेहदी ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
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