डॉ. योगिता सिंह राठौड़
भारत जैसे बहुलतावादी देश में अनेक जातियाँ, धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियाँ एक साथ जीवंत हैं। यह विविधता ही इसकी असली ताकत है, लेकिन जब यह विविधता विभाजनकारी विचारधाराओं का शिकार बनती है, तब समाज में असंतुलन और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। दुर्भाग्यवश, आज की युवा चेतना इस वैचारिक जाल में फंसती जा रही है, जो न केवल सामाजिक सौहार्द को चोट पहुँचाती है, बल्कि युवाओं के सोचने, समझने और निर्माण की शक्ति को भी कुंठित करती है। भारत जैसे विविधताओं से परिपूर्ण देश में एकता, सहिष्णुता और समरसता की भावना सामाजिक स्थायित्व की नींव रही है। किंतु आज की युवा पीढ़ी जिस दौर से गुजर रही है, उसमें विभाजनकारी विचारधाराओं का गहरा प्रभाव देखा जा रहा है। यह विचारधाराएं जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र या विचारों के आधार पर लोगों को बाँटती हैं, और इनका सबसे अधिक प्रभाव उस युवा चेतना पर पड़ता है, जो समाज का भविष्य है।
विभाजनकारी विचारधाराएं क्या हैं?
विभाजनकारी विचारधाराएं वे होती हैं जो समाज को धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र या राजनीतिक दृष्टिकोण के आधार पर बाँटती हैं। इनके मूल में नफ़रत, असहिष्णुता और परस्पर अविश्वास होता है। सोशल मीडिया, राजनीतिक प्रचार, और एकतरफा सूचनाओं के माध्यम से ऐसी विचारधाराएं युवाओं तक पहुँचती हैं और उनकी सोच को प्रभावित करती हैं। विभाजनकारी विचारधाराएं वे मानसिक प्रवृत्तियाँ या राजनैतिक-सामाजिक एजेंडा हैं, जो समाज में वैमनस्य, घृणा, अलगाव और संघर्ष को बढ़ावा देते हैं। इनमें साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद, अतिराष्ट्रवाद, और कट्टरपंथ जैसी प्रवृत्तियाँ प्रमुख हैं।
युवा चेतना पर प्रभाव: युवा वर्ग किसी भी राष्ट्र की नींव होता है। उनका उत्साह, ऊर्जा और सोच देश को दिशा दे सकती है। किंतु जब यही युवा वर्ग विभाजनकारी एजेंडों में उलझ जाता है, तब उनकी रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी पर असर पड़ता है। जिसे निम्न प्रकार से समझा जा सकता है –
मूल्यबोध में गिरावट:
युवा पीढ़ी के सोचने और समझने की शक्ति पर नकारात्मक विचारों का असर पड़ता है। समरसता, सहिष्णुता और विवेक जैसे मूल्य क्षीण होने लगते हैं।
ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति:
सोशल मीडिया, राजनीतिक भाषण और विचारधारा आधारित समूहों के ज़रिए युवा दो ध्रुवों में बँटते जा रहे हैं। ‘हम’ बनाम ‘वे’ की मानसिकता जन्म ले रही है।
सृजनात्मकता में ह्रास:
जब युवाओं का ध्यान रचनात्मकता या नवाचार से हटकर घृणा और विरोध की ओर मुड़ता है, तब राष्ट्र की प्रगति बाधित होती है।
संवादहीनता और कटुता:
विरोध के नाम पर तर्क और संवाद की जगह आक्रोश और कटुता ने ले ली है। असहमति को दुश्मनी के रूप में देखा जाने लगा है।
इस संकट के कारण:
राजनीतिक स्वार्थ: कुछ राजनीतिक दल और समूह वोट बैंक की राजनीति के लिए युवा भावनाओं को उकसाते हैं।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग: बिना पुष्टि के अफवाहें, फेक न्यूज़ और उकसाऊ सामग्री तेजी से फैलती है।
शिक्षा में नैतिक मूल्य शिक्षा की कमी: आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा को उपेक्षित किया गया है।
युवाओं की दिशाहीनता और पहचान की खोज: युवा अक्सर अपनी पहचान की तलाश में जल्दी किसी भी विचारधारा का शिकार हो जाते हैं।
समाधान और सुझाव:
नैतिक और नागरिक शिक्षा का समावेश: स्कूल और कॉलेज स्तर पर सहिष्णुता, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए।
सकारात्मक सोशल मीडिया अभियान: युवाओं को जिम्मेदारीपूर्वक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना सिखाया जाए।
संवाद और विमर्श की संस्कृति: भिन्न मतों के प्रति सहिष्णुता और तर्कशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
प्रेरणास्पद नेतृत्व: युवाओं को विभाजन नहीं, एकता का संदेश देने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है।
स्वयंसेवी संस्थाओं और युवा संगठनों की भूमिका: सामाजिक एकता और सेवा कार्यों में युवाओं को जोड़ना उनके दृष्टिकोण को व्यापक बना सकता है।
यदि आज की युवा चेतना को विभाजनकारी विचारधाराओं के प्रभाव से मुक्त नहीं किया गया, तो आने वाला समय समाज और राष्ट्र दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। एक जागरूक, विवेकशील और मूल्यनिष्ठ युवा शक्ति ही भारत को एक समावेशी, प्रगतिशील और सशक्त राष्ट्र बना सकती है। अतः यह समय है विचारों को जोड़ने का, न कि तोड़ने का। युवाओं को अपने विवेक का उपयोग कर यह निर्णय लेना होगा कि वे किस दिशा में जाना चाहते हैं—घृणा की राह पर या विकास के पथ पर। आज का युवा भारत कल का नेतृत्व करेगा। अगर वह संकीर्ण, कट्टर और असहिष्णु मानसिकता के दायरे में बँध गया, तो देश का सामाजिक और लोकतांत्रिक तानाबाना कमजोर हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि हम युवाओं को संवाद, सहिष्णुता और रचनात्मकता की राह दिखाएं। विविधता में एकता भारत की पहचान रही है, और इस पहचान को बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आज के युवाओं पर है।
प्राचार्य
माँ नर्मदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन धामनोद
Leave a Reply