इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में इस सप्ताह का प्रादर्श है – ‘कांस पायरी’

भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत अगस्त माह के तृतीय सप्ताह के प्रादर्श के रूप में बस्तर, छत्तीसगढ़ की बायसन हॉर्न मारिया जनजाति की महिलाओं द्वारा पैर में आभूषण के रूप में पहने जाने वाली कांसे की पायल “कांस पायरी” को दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।

इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया की कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण दुनिया भर के संग्रहालय बंद है लेकिन यह सभी अपने दर्शकों के साथ निरंतर रूप से जुड़े रहने के लिए विभिन्न अभिनव तरीके अपना रहे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने भी इस महामारी द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौतियो का सामना करने के लिए कई अभिनव प्रयास प्रारंभ किए है। अपने एक ऐसे ही प्रयास के अंतर्गत मानव संग्रहालय ‘सप्ताह का प्रादर्श’ नामक एक नवीन श्रृंखला प्रस्तुत कर रहा है। पूरे भारत से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए संग्रहालय इस श्रंखला के प्रारंभ में अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। यह अति उत्कृष्ट कृतियां संग्रहालय के ‘AA’और ‘A’ वर्गों से संबंधित हैं। इन वर्गों में कुल 64 प्रादर्श हैं।

कांस पायरी बस्तर, छत्तीसगढ़ की बायसन हॉर्न मारिया जनजाति की महिलाओं द्वारा पैर में आभूषण के रूप में पहने जाने वाली कांसे की 15.5 सेमी लम्बी, 12 सेमी चौड़ी एवं 11 सेमी मोटी बेलनाकार पायल है। इसे स्थानीय सुनारों अथवा धातु शिल्पी समुदायों द्वारा लॉस्ट वैक्स तकनीक से तैयार किया जाता है। बायसन हॉर्न मारिया जनजाति अपने आभूषण पहनने और अलंकरण प्रतिमानों की समृद्ध परंपराओं, जो कि उन्हें और अधिक जीवंत और आकर्षक बनाती हैं, के लिए जानी जाती है। कांस पायरी का उपयोग मारिया महिलाओं द्वारा अपने टखनों को सजाने के साथ-साथ अपनी वैवाहिक स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह आभूषण विवाह के समय एक पुत्री को उसकी माता से प्राप्त पारिवारिक परंपरा या विरासत की तरह माना जाता है। छोटी लड़कियों को इसे धारण करना वर्जित है जब तक की वे यौवन की वय को प्राप्त नहीं कर लेती।

ऐसा माना जाता है कि यह भारी पायजेब पहाड़ी ढलानों पर ऊपर नीचे चढ़ने उतरने के दौरान उत्पन्न नाव से राहत देता है। विवाह के कुछ वर्षों पश्चात इसे बहुधा कुछ हल्के किस्म की पायल से बदल दिया जाता है। बायसन हॉर्न मारिया शक्ति की आराधना में उन्हें प्रसन्न करने हेतु बायसन हॉर्न नृत्य करते हैं और महिला नर्तकियां सुंदर पहनावे और पीतल के शिराभूषण को प्रदर्शित करती हैं। इस समारोहिक नृत्य में मांदर की लयात्मक थाप से ताल मिलाने हेतू पहने जाने वाले पहनावे में कांस पायरी एक महत्वपूर्ण अवयव है।

दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट (https://igrms.com/wordpress/?page_id=788) तथा फेसबुक (https://www.facebook.com/onlineIGRMS) पर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।

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