भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत शुक्रवार को आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा सुश्री शीलू सिंह राजपूत एवं साथी, रायबरेली का आल्हा गायन एवं सुश्री अग्नेश केरकेट्टा और साथी, भोपाल द्वारा उरांव जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति हुई। प्रस्तुति की शुरुआत सुश्री अग्नेश केरकेट्टा और साथियों ने हरे किन्दा कदीन, ऊंची नीच टोंगरी, कूलाही परेता, कुमड़खा पुइदा एवं एका पैलो पैसा गा धरी रे आदि उरांव जनजाति के पारंपरिक गीतों पर नृत्य प्रस्तुति दी।प्रस्तुति में सुश्री केरकेट्टा के साथ मंच पर लिली खलखो, सीमा तिग्गा, सीमा तिर्की, मधुरी टोप्पो, हेमलता कुजूर, एलिजावेद कुजूर, आशा सेस्स, नेहा सेस्स, दुलारी तिर्की ने एवं वादन में पुजिन तिर्की, डेविड टोप्पो, अलेकजेंडर कुजूर एवं स्तानिसलास खलखो ने संगत दी।
दुसरी प्रस्तुति सुश्री शीलू सिंह राजपूत एवं साथी, रायबरेली द्वारा आल्हा गायन की हुई जिसमे बूंदी गढ़ की लड़ाई आधारित प्रस्तुति दी गई।
इसमें माहिल मामा ऊदल को मरवाने की लिए रानी तिलका से कहते हैं की ऊदल को बूंदी अकेले भेजो और बूंदी के राजा को पत्र लिखकर उसकी खबर कर दो, रानी ऐसा ही की करती है, बूंदी में ऊदल को बंदी बना लिया जाता है, यहाँ से आल्हा और लाखन फ़ौज लेकर जाते हैं, बूंदी के राजा से आल्हा और लाखन युद्ध कर ऊदल को छुड़ा लेते हैं और लाखन का गौना करा कर ले आते हैं।
सुश्री राजपूत ने लगभग पन्द्रह वर्ष की आयु से ख्यात आल्हा गायक स्व. श्री लल्लू बाजपेयी से आल्हा गायन की शिक्षा लेना आरम्भ कर दिया था।सुश्री राजपूत देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। आपको लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार, स्वयं अवार्ड एवं हाल ही में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लोकनिर्मला सम्मान प्राप्त हुआ है।
मंच पर- क्लारनेट पर श्री सोहनलाल, ढोलक पर- सर्वेश कुमार, झीका पर- पवन कुमार, दण्डताल पर- श्री राजबहादुर एवं श्री संजय ने तलवार धारी के रूप में संगत दी।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया।