जनजातीय संग्रहालय के ‘लिखन्दरा दीर्घा’ में ‘शलाका 9’ की प्रदर्शनी

भोपाल। मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय के ‘लिखन्दरा दीर्घा’ में गोंड समुदाय की युवा चित्रकार सुश्री रीता श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी ‘शलाका 9’ का प्रदर्शन किया जा रहा है। लिखन्दरा पुस्तकालय के प्रदर्शनी दीर्घा में ‘शलाका 9’ की चित्रकला प्रदर्शनी 31 दिसम्बर, 2020 तक रहेगी।
भोपाल में जन्मीं रीता श्याम मध्यप्रदेश की गोंड जनजाति की युवा चित्रकार हैं। प्रारंभिक शिक्षा भोपाल में ही हुई। अपने आस-पास समुदाय के चित्रकारों को देख इनके मन का भी कलाकार जागा। इसका परिणाम यह हुआ कि ये भी अपनी जातीय स्मृतियों को अंकित करने लगी और धीरे-धीरे रीता चित्र बनाने में एक अनूठा सुख अनुभव करने लगी। चित्र निर्माण की तन्मयता इस हद तक होती थी की चित्रपूरा किये बिना अपना स्थान नहीं छोड़ती हैं। रीता की रंगों-आकारों के प्रति गहरी रूचि को देखते हुए इनके परिवार ने भी इनको विभिन्न चित्र प्रशिक्षण कार्यशालाओं, चित्र शिविरों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
TRIFED के प्रशिक्षण कार्यक्रम से रीता को अपनी चित्रकला में अलग संभावना दिखी, जिसके परिणाम में रंगों और आकारों की समझ में तीक्षणता विकसित हुई। रीता ने अपनी रचनाशीलता को इसके बाद विराम नहीं दिया। भोपाल में रहने के कारण हालांकि ग्रामीण परिवेश एवं ग्रामीण जीवन का प्रभाव इनके चित्रों में नहीं दिखता,फिर भी पशु-पक्षियों के आकारों को बनाने में इनको आनंद आता है। इनकी बनायीं हुई आकृतियों में अनेक आकृतियाँ समाहित रहती हैं, जैसे एक साथ एक ही समय में बहुत कुछ घटित हो रहा हो। लयपूर्ण आकृतियाँ कुछ धूसर से रंगों से संयोजित रहती हैं। बहुत चटक रंगों का उपयोग रीता अपने चित्रों में नहीं करती,फिर भी आकारों की लय एवं लकीरों का मजबूत पर सधा हुआ होना इनके चित्रों को आकर्षक बनाता है।
रीता को अपने पति का सहयोग मिला और चित्रकर्म की निरंतरता बनी रही। इनके पति ने भी इनके चित्रों एवं कला के प्रति लगन को देख प्रभावित हो चित्रकर्म करना प्रारंभ कर दिया है और अब पति-पत्नी चित्रकर्म में संलग्न हैं और यही जीविका का साधन भी बन चुका है।
रीता गोंड चित्रकारों की दूसरी पीढ़ी की एक अत्यंत सम्भावनाशील चित्रकार हैं, जो भोपाल में ही रहकर अपने चित्रकर्म को एक नए शीर्ष तक पहुँचाने में सतत् प्रयासरत हैं। भोपाल में रीता श्याम एक अत्यंत संभावनाशील युवा गोंड चित्रकार के रूप में अपने रचनाकर्म को आगे बढ़ा रही हैं।

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