भोपाल। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 13 अक्टूबर से आयोजित बहुविधि कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत पाँच दिवसीय रामलीला के तीसरे दिन 22 अक्टूबर को राम वनगमन, केवट संवाद, भरत मनावन और सीता हरण प्रसंगों का मंचन किया गया। लीला मंचन में श्रीराम निषादराज केवट से गंगा पार करने के लिए नाव लाने को कहते हैं पर वह नाव नहीं लाता। केवट कहता है- मैंने आपका मर्म जान लिया। आपके चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह तत्कालीन समाज व्यवस्था की अद्भुत घटना है।। अगले प्रसंग में भरत श्रीराम को अयोध्या वापिस ले जाने के लिए वन में आते हैं, भरत राम के गले लग जाते हैं और राम को अयोध्या वापस चलने के लिए कहते हैं, लेकिन राम उन्हें धर्म का पाठ पढ़ाते हैं। राम की खड़ाऊ लेकर भरत अयोध्या लौटते हैं। इसे देख दर्शक भाव विभोर हो उठे और उनकी आंखें नम हो गईं । राम-सीता और लक्ष्मण वन में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं। एक दिन रावण सीता हरण के लिए योजना बनता है। वह मायावी राक्षस मारीच से इस कार्य में सहायता मांगता है, उसके मना करने पर रावण उसे मृत्यु दण्ड देने के लिए कहता है, मारीच ने रावण के हाथों मरने से अच्छा राम के हाथों मरना चाहा और स्वर्ण मृग का रूप धारण कर कुटिया के पास विचरण करने लगा, जिसे देख सीता, राम से उसे पकड़ कर लाने को कहती हैं। राम मृग को पकड़ने के लिए उसके पीछे जाते हैं, मारीच उन्हें बहुत दूर ले जाता है। राम का बांण लगने के पर मारीच लक्ष्मण का नाम ले-ले कर सहायता के लिए पुकारता है। सीता उसकी आवाज सुनकर लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए जाने को कहती हैं। विवश होकर लक्ष्मण कुटिया के चारों ओर रेखा (लक्ष्मण रेखा) खींच कर राम की सहायता के लिए चले जाते हैं। रावण साधू का भेष धारण कर भिक्षा मांगने आता है और सीता को कुटिया के बाहर आकर भिक्षा देने के लिए विवश कर देता है, कुटिया के बाहर आते ही रावण अपने वास्तविक रूप में आ जाता है और सीता को पुष्पक विमान से लंका ले जाता है।
मध्यप्रदेश की इस पारंपरिक लीला मण्डली के साथ समकालीन नाट्य प्रयोगों को जोड़ते हुए संवाद, अभिनय, वेशभूषा, रंगभूषा, प्रकाश, मंचीय सज्जा आदि का कार्य परिष्कार की दृष्टि से किया जा रहा है। ख्यात रंगकर्मी, निर्देशक श्री जयंत देशमुख, मुंबई इन कलाकारों के साथ कथा मंचन के पूर्व अभ्यास और संवाद के माध्यम से परिष्कार का कार्य कर रहे हैं।
जनजातीय संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर नवाचार और नयनाभिराम दृष्य बिम्बों में प्रस्तुत हो रही इस रामलीला को दर्शकों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। दर्शकों ने करतल ध्वनि से कई बार कलाकारों का उत्साह वर्धन किया।
बुधवार 23 अक्टूबर को सायं 06:30 बजे से रामलीला के चौथे दिन शबरी प्रसंग, बालि वध और लंका दहन प्रसंगों का मंचन होगा।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया।