दोपहर 1.50 पर खींचा गया जगन्नाथ का रथ, इसके पहले बलभद्र का तालध्वज और सुभद्रा के रथ देवदलन को खींचा गया

पुरी. जगन्नाथ पुरी में दोपहर 12.10 बजे पहला रथा खींचा गया। बलभद्र का काले घोड़ों से जुता रथ तालध्वज मंदिर के सेवकों ने खींचना शुरू किया। ग्रांड रोड़ पर सबसे आगे यही रथ है। इसके बाद करीब 12.50 पर देवदलन रथ खींचा गया। ये सुभद्रा देवी का रथ है।

इससे पहले सुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा देवी को गर्भगृह से लाकर रथों में विराजित कर दिया गया। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और गजपति महाराज दिब्यसिंह देब भी पूजन करने पहुंचे। पूजन के बाद पुरी के गजपति महाराज ने सोने की झाडू से भगवान जगन्नाथ का रथ बुहारा।

उड़ीसा के कानून मंत्री ने बताया कि मंदिर के सभी सेवकों का कोरोना टेस्ट किया गया है। इनमें से एक सेवक कोरोना पॉजिटिव निकला। उसे रथयात्रा से दूर रखा गया है। रथयात्रा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही निकाली जा रही है।

2500 साल से ज्यादा पुराने रथयात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका होगा, जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेगी, लेकिन भक्त घरों में कैद रहेंगे। कोरोना महामारी के चलते पुरी शहर को टोटल लॉकडाउन करके रथयात्रा को मंदिर के 1172 सेवक गुंडिचा मंदिर तक ले जाएंगे।
2.5 किमी की इस यात्रा के लिए मंदिर समिति को दिल्ली तक का सफर पूरा करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद मंदिर समिति के साथ कई संस्थाओं ने सरकार से मांग की कि रथयात्रा के लिए फिर प्रयास करें। सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं लगाई गईं। अंततः फैसला मंदिर समिति के पक्ष में आया और पुरी शहर में उत्साह की लहर दौड़ गई। फैसला आते ही, सेवकों ने रथशाला में खड़े रथों को खींचकर मंदिर के सामने ला खड़ा किया।
मंगलवार को रथयात्रा पूरी कर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर मुख्य मंदिर से ढाई किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। यहां सात दिन रुकने के बाद आठवें दिन फिर मुख्य मंदिर पहुंचेंगे। कुल नौ दिन का उत्सव पुरी शहर में होता है। मंदिर समिति पहले ही तय कर चुकी थी कि पूरे उत्सव के दौरान आम लोगों को इन दोनों ही मंदिरों से दूर रखा जाएगा। पुरी में लॉकडाउन हटने के बाद भी धारा 144 लागू रहेगी।

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