पहले मतदान फिर दूजा काम

मतदान आरंभ होने में कुछ सौ घंटे शेष हैं एक ओर दिवाली की खुशियां हैं तो दूसरी और नई सरकार बनाने की, इसमें कोई शक नहीं की दोनों खुशियां बरकरार होंगी बस सामंजस्य बनाने की आवश्यकता होगी। दोनों के महत्व को हमें ध्यान में रखना होगा। 

    तो आईये जनाब फिर से कमर कसके तैयार हो जाइये… ‘पहले मतदान फिर दूजा काम’। 17 नवंबर को सूरज की पहली किरण से नई सरकार बनाने के प्रयास आरंभ होने वाले हैं इस समय आरोप-प्रत्यारोप के दौर जारी हैं, वही कार्यकर्ताओं का जोश चरम पर है। जनसंपर्क, सभाओं, जन आशीर्वाद रेलियों के माध्यम से भरोसा दिलाया जा रहा है कि जीतेंगे तब क्या-क्या सुविधा मिलेगी, कौन से वादे निभाए जाएंगे… लेकिन इन सब से परे पार्टी या किसी व्यक्तित्व की छवि मन में बसाने के पूर्व उन्हें समझना आवश्यक होगा, धैर्य से अपने क्षेत्र के प्रत्याशी का मूल्यांकन करें। डगर कठिन है उन्हें भी इस बात का भी भान है इसलिए वे भी कोई कसर नहीं छोड़े जाने के प्रयास में होंगे।  आजकल मतदाताओं के रुझान को भाँपने के लिए जगह-जगह चुनावी सर्वेक्षण का भी सहारा लिया जाता है, जो मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित करने का एक अचूक हथियार माना जाता है। लेकिन यह तकनीकी सुविधाएं भी अब आरोपों से अछूती नहीं रही हैं। परिणाम आते हैं तब अनुमान काफी निकट होते हैं तो कभी उलट भी हो जाते हैं। इसलिए इन पर भी भरोसा जताना उचित नहीं होगा। मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में एक ओर 18 माह की सरकार के कार्य प्रमुख हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत, डिजिटल भारत का सपना है। अब देश के लिए स्वच्छ भारत उसके बाद स्वस्थ भारत और अब समर्थ भारत का नारा लगने लगा है।

    हालांकि वर्ष 2019 में हुए संपन्न चुनाव और अब 2024 में होने वाले चुनाव, दोनों स्थितियों का आकलन करें तो सब कुछ बदला – बदला अनुभव हो रहा है। देश ने इन 5 वर्षों में कोविड का बुरा समय भी देखा है, लेकिन हमे यह भी स्वीकार करना होगा कि आज प्रदेश के साथ चारों ओर देश ने भी विकास की राह पकड़ी है। सरकार किसकी बनानी है, निश्चित रूप से यह निर्णय मतदाताओं के पास है लेकिन यह तभी संभव होगा जब हम शत – प्रतिशत मतदान करेंगे।  मो.: 9425004536

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *