भोपाल। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद एवं संचालनालय पुरातत्त्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में शाम ए ग़ज़ल कार्यक्रम पिछलें दिनों गोलघर, शाहजहाँनाबाद, भोपाल में डॉ पूजा शुक्ला, अपर संचालक, संचालनालय पुरातत्त्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय की गरिमामय उपस्थिति में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का मूल उद्देश्य उर्दू भाषा एवं साहित्य का प्रचार प्रसार एवं विकास है। ग़ज़ल गायन, उर्दू साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा ग़ज़ल को संगीत के ज़रिये आवाम तक पहुंचाने का बेहतरीन माध्यम है, और इसके ज़रिये लोग उर्दू भाषा और उसकी शेरी परंपरा की ख़ूबसूरती से परिचित होते हैं।इसके अतिरिक्त साहित्यिक एवं सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण, ग़ज़ल गायकों का प्रोत्साहन एवं उनको अवसर प्रदान करना, प्राचीन शायरों के साथ नये और मशहूर शायरों के कलाम की प्रस्तुति के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना इसके उद्देश्यों में शामिल हैं। इन सबके पीछे यही भावना है कि उर्दू भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण एवं विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
डॉ. नुसरत मेहदी के उद्बोधन के पश्चात भोपाल के सुप्रसिद्ध युवा ग़ज़ल गायक मोहम्मद साजिद ने अपनी सहर अंगेज़ आवाज़ में ग़ज़लों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर किया। उन्होंने जो ग़ज़लें प्रस्तुत कीं वो इस प्रकार हैं।
शकील बदायूनी
मेरे हम नफ़स मेरे हम नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग
पुरनम इलाहाबादी
तुम्हें दिल लगी भूल जानी पड़ेगी
मोहम्मद साजिद की मनमोहक प्रस्तुति के बाद इंदौर से तशरीफ़ लाईं मशहूर ग़ज़ल गायिका सोनाली पौराणिक ने अपनी मखमली आवाज़ में ग़ज़लें पेश कर श्रोताओं से खूब दाद वसूल की। उन्होंने जो ग़ज़लें पेश कीं वो निम्न हैं।
राजेंद्र कृष्ण
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
मख़दूम मुहीउद्दीन
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
नासिर काज़मी
नियते शौक़ भर न जाये कहीं
शहरयार
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
आख़िर में जबलपुर से पधारे ख्यातिलब्ध ग़ज़ल गायक अनवर हुसैन ने अपनी मधुर आवाज़ में ग़ज़लें पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने ने जो कलाम पेश किया वो इस प्रकार है।
इब्राहीम अश्क
तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे
शकील बदायूनी
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
निदा फाज़ली
बे नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
राना अकबराबादी
सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
कार्यक्रम का सफल संचालन इफ्तिख़ार अय्यूब द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. नुसरत मेहदी ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
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