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ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभाव : क्या हम तैयार हैं ?

डॉ. योगिता सिंह राठौड़

ऋतुराज बसंत के सुहावने मौसम के पश्चात ग्रीष्म ऋतु आती है। ग्रीष्म ऋतु वर्ष का सबसे गर्म मौसम है। इस मौसम में तापमान इतना अधिक हो जाता है कि पानी बहुत जल्दी वाष्पित होने लगता है। लेकिन यह बच्चों के लिए सबसे मनोरंजक मौसम है जो इसका पूरा आनंद लेते हैं क्योंकि उनके स्कूल की छुट्टी गर्मी के मौसम में होती है। आमतौर पर, गर्मियाँ मार्च के मध्य या बाद में जून तक रहती हैं, लेकिन मानसून में देरी के कारण वे जुलाई के पहले सप्ताह तक चल सकती हैं। यह मौसम तब होता है जब पृथ्वी सूर्य की ओर झुकती है और सर्दियों के लिए इसके विपरीत घटना होती है। दक्षिणी गोलार्ध में, दिसंबर से फरवरी तक गर्मी के महीने होते हैं। दिन गर्म हो जाता है और रातें ठंडी हो जाती हैं। इसके अलावा, दिन लंबा और रातें छोटी होती हैं। इस मौसम में हमें कई तरह के फल और सब्ज़ियाँ मिलती हैं । और यही वो मौसम है जिसमें किसान अपनी ज़मीन को खेती के लिए तैयार करते हैं। आसमान साफ़ हो जाता है क्योंकि छाया देने के लिए बादल नहीं होते। और सूरज चमकता है। वैसे तो हर कोई अपनी पसंद के हिसाब से गर्मियों का आनंद ले सकता है, लेकिन बच्चों को यह सबसे ज्यादा पसंद है। उन्हें यह इसलिए पसंद है क्योंकि उनके आगे लंबी गर्मी की छुट्टियाँ हैं, जिसका वे पूरा आनंद लेते हैं। ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन, जिसे अक्सर गर्मी का मौसम कहा जाता है, मानव जीवन, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर विभिन्न रुपों में प्रभाव डालता है। इस मौसम में तापमान में वृद्धि, सूखा, उच्च आर्द्रता, और बढ़े हुए प्रदूषण स्तर सामान्य होते हैं। ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभाव एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर हमें विचार करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण हमारे जीवन, पर्यावरण, और अर्थव्यवस्था पर कई प्रभाव पड़ते हैं। ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि जल संकट, कृषि पर प्रभाव, और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव के कारण आर्थिक नुकसान होता है।

आइए इस परिवर्तन के प्रभावों और हमारी तैयारियों पर ध्यान दें:

स्वास्थ्य पर प्रभाव – ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि गर्मी की लहरें और अधिक तीव्र होने के कारण हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। गर्मी के कारण हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और सांस संबंधी समस्याएं (जैसे अस्थमा) बढ़ सकती हैं। बढ़ी हुई गर्मी से गर्मियों के बुखार और घबराहट जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। उच्च तापमान से शारीरिक थकावट और मानसिक तनाव में भी वृद्धि हो सकती है।

पर्यावरण पर प्रभाव – ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होती है, जिससे गर्मी की लहरें और अधिक तीव्र हो जाती हैं।  ग्रीष्म ऋतु के दौरान जल स्रोतों का सूखना और कृषि पर प्रभाव (सूखा और फसलें नष्ट होना) एक गंभीर समस्या हो सकती है। प्रदूषण और वायू प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के प्रभाव और बढ़ सकते हैं।

कृषि पर प्रभाव – गर्मी से मिट्टी में नमी की कमी और फसलों का सूखना सामान्य है। यह किसानों के लिए एक बड़ा संकट हो सकता है। पानी की कमी से सिंचाई की समस्या बढ़ सकती है, जो कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है।

ऊर्जा खपत पर प्रभाव – ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण जल संकट की समस्या बढ़ जाती है, क्योंकि वर्षा की कमी और तापमान में वृद्धि के कारण जल संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है। गर्मी के कारण एसी और कूलर जैसे उपकरणों की बढ़ी हुई खपत से ऊर्जा की मांग अधिक होती है। इससे बिजली संकट और ऊर्जा के स्रोतों पर दबाव बढ़ सकता है।

क्या हम तैयार हैं?

ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्या हम तैयार हैं? इसका जवाब है कि हमें तैयार रहना चाहिए। हमें ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि:

स्वास्थ्य जागरूकता: गर्मी के प्रभावों से बचने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य संकटों के बारे में जागरूक रहना चाहिए। इसके लिए अधिक पानी पीना, हल्के और आरामदायक कपड़े पहनना, और सूर्य की तीव्रता से बचना आवश्यक है। मानव स्वास्थ्य में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जागरूकता अभियान चलाना।

जल प्रबंधन: जल संचयन के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि वर्षा जल संचयन और जल की बचत। जल संकट से बचने के लिए वृष्टि जल संचयन और स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों को अपनाना चाहिए।

ऊर्जा संरक्षण: घरों और दफ्तरों में ऊर्जा बचत के उपायों को अपनाकर, हम गर्मी में ऊर्जा की अधिक खपत को कम कर सकते हैं।

कृषि योजनाएं: ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के कारण कृषि पर भी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि तापमान में वृद्धि और वर्षा की कमी के कारण फसलों की उत्पादकता प्रभावित होती है। गर्मी से प्रभावित किसानों के लिए सूखा प्रतिरोधी फसलें और सिंचाई की बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करना आवश्यक है। कृषि में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि सिंचाई प्रणाली में सुधार और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग।

अर्थव्यवस्था में सुधार अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि जल संकट, कृषि पर प्रभाव, और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना।

इसलिए, ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभावों से बचने और उसे बेहतर तरीके से संभालने के लिए हमें पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। इन कदमों को उठाकर, हम ग्रीष्म ऋतु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकते हैं और अपने जीवन, पर्यावरण, और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रख सकते हैं।

प्राचार्य

माँ नर्मदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन धामनोद

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