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G20 जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन 2025 : वैश्विक चुनौतियों का समाधान

डॉ. योगिता सिंह राठौड़

जी -20 जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन , ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) की बीसवीं बैठक होगी , जो 22 से 23 नवंबर 2025 तक आयोजित होने वाली राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों की बैठक होगी। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब दुनिया जलवायु संकट, आर्थिक असमानता, स्वास्थ्य आपात स्थितियों और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है, ऐसे समय में G20 जैसे मंचों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। वर्ष 2025 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन ने इन चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने और सहयोगात्मक समाधान तलाशने का एक सशक्त प्रयास किया। साथ ही यह  सम्मेलन, वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को प्रमुखता देने और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। दक्षिण अफ्रीका ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए “एकजुटता, समानता, और स्थिरता” को अपनी प्राथमिकताओं के रूप में प्रस्तुत किया ।

2025 जोहान्सबर्ग सम्मेलन की थीम और प्रमुख एजेंडा:

इस वर्ष की थीम थी — “One World, Shared Future: Resilient Solutions for Global Challenges” (एक विश्व, साझा भविष्य: वैश्विक चुनौतियों के लिए सहनशील समाधान)।

यह विषय वैश्विक दक्षिण के पिछले तीन जी-20 अध्यक्षों के प्रयासों और सफलताओं को आगे बढ़ाने तथा विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने की दक्षिण अफ्रीका की मंशा को दर्शाता है।

एकजुटता के माध्यम से , हम एक जन-केंद्रित, विकास-उन्मुख और समावेशी भविष्य प्राप्त करना चाहते हैं। एक दूसरे से जुड़ी दुनिया में, एक राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियाँ सभी राष्ट्रों को प्रभावित करती हैं। समानता को बढ़ावा देकर , हम सभी लोगों और राष्ट्रों के लिए उचित व्यवहार, अवसर और प्रगति सुनिश्चित करना चाहते हैं, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति, लिंग, जाति, भौगोलिक स्थिति या अन्य विशेषताएँ कुछ भी हों। स्थिरता का मतलब भविष्य की पीढ़ियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करना है।

प्रमुख मुद्दे जिन पर जोर दिया गया:

जलवायु परिवर्तन और सतत विकास

वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना

आर्थिक पुनरुद्धार और डिजिटल समावेशन

भोजन और ऊर्जा सुरक्षा

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और तकनीकी शासन

अंतरराष्ट्रीय कर्ज संकट और विकासशील देशों की भागीदारी

मुख्य प्राथमिकताएँ और घोषणाएँ:

1. जलवायु वित्त और स्थिरता: दक्षिण अफ्रीका ने जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। “ग्लोबल ग्रीन फाइनेंस इनिशिएटिव” की स्थापना की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य विकसित देशों और निजी निवेशकों से जलवायु-लचीले परियोजनाओं के लिए धन जुटाना है ।

2. ऋण राहत और विकासशील देशों की सहायता: विकसित देशों के बढ़ते ऋण संकट को देखते हुए, एक वैश्विक ऋण पुनर्गठन तंत्र की आवश्यकता पर चर्चा की गई। इसमें निम्न-आय वाले देशों के लिए ब्याज दरों में कमी और ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया को सरल बनाने की बात की गई ।

3. ऊर्जा संक्रमण और नवीकरणीय संसाधन: दक्षिण अफ्रीका ने जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण को तेज करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसमें अफ्रीकी खनिज संसाधनों (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) का उपयोग और स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों को बढ़ावा देने की बात की गई ।

4. वैश्विक शासन और संस्थागत सुधार: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया, ताकि विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व मिल सके। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में सुधार की बात की गई ।

मुख्य उपलब्धियाँ और घोषणाएँ:

1. ग्रीन फाइनेंसिंग फंड की स्थापना: जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक साझा कोष स्थापित करने की घोषणा।

2. वैश्विक डिजिटल चार्टर: डिजिटल खाई को पाटने और AI के नैतिक उपयोग को लेकर साझा दिशा-निर्देशों पर सहमति।

3. टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच: महामारी के अनुभव को देखते हुए वैश्विक स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के उपाय।

4. दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा: विकासशील देशों की आवाज़ को प्रमुखता देने की कोशिश, विशेषकर अफ्रीका और दक्षिण एशिया के लिए योजनाएँ।

भारत की भूमिका:

भारत ने सम्मेलन में एक सक्रिय भागीदार के रूप में अपनी छवि को और सशक्त किया। भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, मिलेट्स (श्री अन्न), और वैश्विक दक्षिण की आवाज को प्रमुखता से उठाया। भारत और दक्षिण अफ्रीका के मजबूत संबंधों के चलते यह सम्मेलन भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। भारत ने G20 मंच पर वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कर्ज राहत, और बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। भारत ने अफ्रीकी संघ को G20 का पूर्ण सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता के तहत हुआ।

अमेरिका का रुख और चुनौतियाँ:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, अमेरिका ने इस सम्मेलन में भागीदारी से परहेज किया और दक्षिण अफ्रीका की नीतियों पर आलोचना की। इससे G20 की प्रभावशीलता पर प्रश्न उठे, क्योंकि अमेरिका जैसी प्रमुख शक्ति की अनुपस्थिति ने वैश्विक सहमति बनाने में कठिनाई उत्पन्न की ।

2025 का G20 जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन एक ऐसा मंच बना जहाँ विविध देशों ने मिलकर साझा वैश्विक संकटों का समाधान खोजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। यह सम्मेलन इस बात का प्रतीक है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग, समावेशन और संवाद से ही दुनिया एक स्थायी, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकती है। 2025 का G20 जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन, वैश्विक दक्षिण की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को प्रमुखता देने में सफल रहा। हालांकि, अमेरिका की अनुपस्थिति और वैश्विक शक्ति संतुलन में असहमति के कारण कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं, फिर भी इस सम्मेलन ने वैश्विक सहयोग और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। यह सम्मेलन दर्शाता है कि वैश्विक समस्याओं का समाधान केवल बहुपक्षीय सहयोग और समान भागीदारी से ही संभव है।

प्राचार्य

माँ नर्मदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन धामनोद

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