ज्योतिष शास्त्र एवं रत्न रहस्य

जिस तरह ज्योतिष शास्त्रानुसार ग्रहों का अध्ययन कर मनुष्य के जीवन में घटने वाली घटनाओं शुभ अशुभ धर्म-कर्म विवाह संतान इत्यादि ज्ञाान ज्योतिष अनुसार कुंडली वाचन कर किया जाता है। ग्रहों का मनुष्य जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एवं नक्षत्र ग्रह सभी के अनुसार ही व्यक्ति का व्यक्तित्व को जाना जाता है। नक्षत्र ग्रहों से प्रभावित होते हैं। हर नक्षत्र के अंदर 3-3 नक्षत्रों का वास, या यूं कहें हर नक्षत्र के ग्रह के स्वामी होते हैं। रत्न क्या है-पृथ्वी पर पाए जाने वाले कठोर रंग-बिरंगे पत्थर हैं। परंतु हर रंग बिरंगे यह पत्थर किसी न किसी ग्रह के अंतर्गत माने गए हैं या उन ग्रहों के साथ इनका संबंध है। पृथ्वी पर हर प्राणी पर ग्रहों का अनुकूल-प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तब प्रतिकूल ग्रहों का अनुकूल प्रभाव पाने के लिए मनुष्य रत्न धारण करता है। यह रत्न धारण ज्योतिष के बताए अनुसार ही किए जाते हैं। कभी – कभी ऐसा भी होता है कि ग्रह अनुकूल होते हुए भी  प्रतिकूल या सुप्ता अवस्था में होते हैं , अतः उन्हें जागृत करने के लिए रत्न धारण किए जाते हैं। रत्न प्रकृति की देन है, वर्ण व रूप सभी आदित्य प्रकृति में है, हम किसी भी प्राणी  जड़-चेतन, कण – कण स्थान दृश्य उसका कोई न कोई वर्ण है , और जल थल नभ सर्वत्र में हमें प्राकृतिक संपन्नता दृष्टिगत होती है। प्रकृति की हर वस्तु धातु सभी ग्रहों से संबंधित होती है। अतः हम यह समझने का प्रयास करें कि रत्न हमारे जीवन में कितना महत्व रखते हैं। असली रत्न वह है, जो एक विशेष आभा से युक्त रंग चमक से यक्त छोटे टुकड़ों के आकार में पाए जाते हैं। रत्नों का विकिरण के प्रभाव अंतरिक्ष आकाश में स्थित विभिन्न तारा समूहों नक्षत्र ग्रहों की ज्योति उष्मा से संबंधित रहता है, प्रत्येक रत्न अपने वर्ण प्रभाव के सामने वाले ग्रह के प्रभाव से उत्कृष्ट करके अपने में केंद्रित करता है। रत्नों के प्रभाव एक अद्भुत शक्ति निहित होती है। यह व्यक्ति के जीवन में पोषक व मारक दोनों रूप ले सकती है। 

जया तारे

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