बादशाह, बेगम और तुरुप के इक्कों का बढ़ता महत्व…

यतीन्द्र अत्रे

शतरंज के खेल में वजीर, राजा का अपना महत्व होता है तो ताश के पत्तों में बेगम, बादशाह और उसके बाद इक्के का क्या कहना… प्रायः इनका उपयोग तब होता है जब या तो कोई संकट  की घड़ी हो या पासा पलटना हो। विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसी ही स्थितियां दृश्शायमान हो रही है। ऐसा लगता है मानो घोषणाओं का रंग अब फीका पढ़ने लगा है। चुनावी पर्दे पर वही दिखाई देता है जो टीवी चैनल की मैराथन दौड़ के द्वारा या फिर जो समाचार पत्रों में प्रकाशित होता है,नेपथ्य में समीकरण की कहानी तो वही जानता है जो इस दौड़ में बराबरी का हिस्सेदार होता है। हमें तो सुबह टेबल पर चाय पीते-पीते समाचार पत्र पढ़ते या सैर पर साथियों के समूह में पता चलता है और तब हैरानी होती है कि कल जो था आज नहीं है…   दरअसल पिछले कुछ वर्षों से प्रत्याशी की कार्य शैली को पार्टी के दृष्टिकोण से जोड़कर देखा जा रहा है, यानिकि प्रत्याशी से अधिक पार्टी के महत्व की चर्चा होती है, लेकिन ऊंट दूसरी करवट भी तो बैठ सकता है,सो अपवाद स्वरूप कभी  सहमति ना बन पाने से  प्रत्याशियों का वर्चस्व दिखाई देता है।  किसी समूह में भिन्न विचार धाराओं वाले व्यक्तियों का परस्पर विरोध तो समझ में आता है किंतु विरोध में कपड़े फाड़ने वाले वक्तव्य, दृदश्य से जनता के बीच क्या संदेश देने का प्रयास किया जाता है यह आम जन की समझ से परे होता है, लेकिन आम आदमी को यह तो समझ में निश्चित रूप से आ रहा होगा कि इस बार का चुनाव ना तो पार्टी के लिए आसान होगा और ना ही प्रत्याशी के लिए। नामांकन भरने का सिलसिला आरंभ हो चुका है, मतदान का समय शनै शनै निकट आते जा रहा है, ऐसी स्थिति में उलट फेर का गणित चिंता की स्थिति उत्पन्न करता है। हालांकि संभवतः चुनाव में भाग ले रहे प्रत्याशी या पार्टियों प्रयास होता है  कि जीत की दिशा में कोई कमी ना रह जाए।  बहरहाल मत प्रयोग के बाद परिणाम आमजन के पक्ष में होगा या नहीं यह तो मतदान के बाद ही ज्ञात होगा, घोषणाएं क्रियान्वित होगी या छलावा, यह भी सरकार बनने के बाद ही पता चलेगा। पिछली सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं, विकास योजनाएं तो हमारे सामने हैं पर क्या नई सरकार यह सब कर पाएगी ? जिस प्रत्याशी को हम चुनने जा रहे हैं वह क्षेत्र के विकास के लिए योग्य होगा या फिर वही ढाक के तीन पात…ऐसे अनेक प्रश्न हमारे अंदर उमड़-घुमड़ कर रहे होंगे, इन सबसे बाहर निकालने के लिए सबसे जरूरी होगा मतदान। मजबूत लोकतंत्र की दिशा में यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा, इसके बाद ही हमारे सभी प्रश्नों के उत्तर मिल पाएंगे।

मो. 9425004536

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