भारत में एथोनोग्राफिक संग्रहालय एशियाटिक सोसाइटी से प्रारंभ हुआ – डॉ. एस. बी. चक्रवर्ती

भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल मेंएथोनोग्राफिक म्यूजियम इन इंडिय-कंट्रीब्यूशन्स, रीप्रजेंटेशन्स एंड फ्यूचर पॉसीबिल्टीस विषय पर 03 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन डॉ. अमरेश्वर गाला, क्यूरेटर, अमरावती धरोहर केंद्र एवं संग्रहालय तथा डॉ. के. के. चक्रवर्ती, (पूर्व निदेशक, मानव संग्रहालय), प्रो. विनय कुमार श्राीवस्ताव (निदेशक, मानव विज्ञाान सर्वेक्षण, कोलकाता) एवं एस. बी. चक्रवर्ती (एशियाटिक सोसाईटी, कोलकाता) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। संयुक्त निदेशक, मानव संग्रहालय, दिलीप सिंह द्वारा दिए गए स्वागत भाषण के पश्चात, प्रो. के. के. बासा (टेगौर नेशनल फैलो) ने सेमीनार की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद की नोट एड्रेस देते हुए डॉ. अमरेश्वर गाला ने कहा कि अपने की-नोट एड्रेस में, दुनिया भर के बड़े संग्रहालय और समुदायों के साथ अपने जुड़ाव को प्रतिबिंबित करते हुए विरासत के संबंध में और देशज परम्परा में विद्यमान ज्ञान पद्धति को अंतर्राष्ट्रीय डोमेन में विभिन्न नीतियों को बनाने में ध्यान रखने पर जोर दिया। उन्होंने आंध्रप्रदेश के अमरावती धरोहर स्थल पर विकास कार्य करते हुए एक उत्प्रेरक के रूप में विभिन्न सांस्कृतिक लोगों को शामिल कर इको-संग्रहालय दृष्टिकोण के माध्यम से स्थलों और साझा सांस्कृतिक विरासत के पुनरोद्धार करने का लक्ष्य पूरा किया। अंत में उन्होंने, राष्ट्र और उसके लोगों के लाभ के लिए सांस्कृतिक मूल्यों के ज्ञान को बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मानवशास्त्रीय या नृवंशविज्ञान दृष्टिकोण को अपनाने पर बल दिया। इसके बाद प्रो. विनय कुमार ने अपने उद्बोधन में एन्थ्रोपोलॉजी और एथोनोग्राफी विस्तार से प्रकाश डाला और समुदाय की सहभागिता पर जोर दिया। डॉ. के. के. चक्रवर्ती ने मध्य प्रदेश में पुरातत्व संग्रहालय, छत्तीसगढ़ में 300 एकड़ में स्थापित किये गए पुरखौती मुक्तंगान की परिकल्पना तथा विकास से सम्बंधित बातों एवं स्थानीय देशज लोगों के मौखिक परम्परा में निहित विद्वता को उन्ही के क्षेत्रो में संरक्षण करने पर बल दिया।

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