14 राज्यों, 25 शहरों में हो चुके 48 सफल मंचन
भोपाल। सोमवार को अनुकृति रंगमंडल कानपुर के कलाकारों ने जयवंत दलवी लिखित नाटक पुरुष का मंचन किया, निर्देशन निशा वर्मा का था। मैं डरने या थकने वाली नहीं। मैंने पूरी तैयारी कर ली है, मैं गुलाबराव को परास्त करके ही रहूंगी। नाटक की नायिका अंबिका के इन संवादों पर श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के मातृका आडिटोरियम दर्शकों की तालियों से गूंज उठा।
नाटक में दर्शाया गया कि अपने ऊपर हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने पर एक युवती को किस कदर संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन नायिका अंबिका हार नही मानती और अदालत का फैसला अपने खिलाफ आने पर बलात्कारी गुलाबराय से अपने तरीके से प्रतिशोध लेती है।
नाटक की कहानी शुरू होती है अण्णा साहब आप्टे के घर से। जो एक आदर्श शिक्षक हैं। उनके अपनी पत्नी तारा के साथ कुछ वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन वह हमेशा उनका साथ देती है। अण्णा की बेटी अंबिका एक स्कूल में पढ़ाती है। उसका एक दोस्त है सिद्धार्थ, जो दलितों के हक की लड़ाई लड़ता है। नाटक के अगले सीन में बाहुबली गुलाबराव जाधव की एंट्री होती है, जिसके काले – कारनामें कई बार अंबिका सबके सामने उजागर कर चुकी है। गुलाबराव अंबिका से बदला लेने के लिए उसको धोखे से डाक बंगले में बुलाकर बलात्कार कर देता है। यह सदमा अंबिका की मां तारा बर्दाश्त नहीं कर पाती और वह आत्महत्या कर लेती है, सिद्धार्थ भी साथ छोड़ देता है। जबकि अंबिका की सहेली मथू इस मुश्किल समय में उसके साथ डटी रहती है। मथू अंबिका व अण्णा का हौसला बढ़ाती है और उन्हें प्रतिकार के लिए भी प्रेरित करती है।
अंततः अंबिका गुलाबराव को जिंदगी भर न भूल पाने वाला सबक सिखाती है और इसी के साथ नाटक का पटाक्षेप होता है।
नाटक में दीपिका सिंह (अंबिका), संध्या सिंह (मथू), सुरेश श्रीवास्तव (अण्णा साहब), आरती शुक्ला (तारा), महेन्द्र धुरिया (गुलाबराव), ऐश्वर्य दीक्षित (सिद्धार्थ) ने अपनी भूमिका बखूबी निभायीं। सम्राट यादव (इंस्पेक्टर गाडगिल), आकाश शर्मा (पांडु), आयुष (शिवा), प्रभात सिंह (बंडा) ने भी अभिनय किया। नाट्य रूपांतरण सुधाकर करकरे, प्रस्तुति नियंत्रक, सहायक निर्देशक डा. ओमेंद्र कुमार, संगीत विजय भास्कर व प्रकाश संचालन नरेन्द्र सिंह/ कृष्णा सक्सेना का रहा।
उल्लेखनीय है कि महिला सशक्तिकरण का प्रभावी संदेश देते अनुकृति कानपुर के सिग्नेचर नाटक पुरुष के अब तक 14 राज्यों, 25 शहरों में 47 सफल मंचन हो चुके हैं।
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