Advertisement

श्रीराम विजय भावना कथा नाटक  ‘अंकिया नाट’ के रूप में जानी जाती है

समारोह में अलग-अलग राज्यों की  कठपुतली कलाओं का प्रदर्शन

भोपाल। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र पुतुल समारोह का आयोजन 08 से 12 अक्टूबर, 2025 प्रतिदिन सायं 6.30 बजे से किया गया है। समारोह में 11 अक्तूबर, 2025 को सुश्री बिनिता देवी एवं साथी-गुवाहाटी द्वारा रावण वध / राम विजय भावना कथा को धागा/छड़/ छाया शैली में प्रस्तुत किया गय।। गतिविधि में निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे द्वारा कलाकार का स्वागत किया गया। 

श्रीराम विजय भावना कथा मनोरंजन का एक पारंपरिक रूप है, जो हमेशा धार्मिक संदेशो के साथ, भारत के असम में प्रचलित है। यह महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव द्वारा रचित एक रचना है, जो 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में लिखी गई थी। उन्होंने मनोरंजन के माध्यम से ग्रामीणों को धार्मिक संदेश देने के लिए इस रूप की रचना की। बाद में श्रीमंत माधवदेव ने भी कुछ नाटक लिखे। श्रीराम विजय भावना कथा श्रीराम विजय भावना कथा नाटक  ‘अंकिया नाट’ के रूप में जानी जाती है। नाटक में श्रीराम और माता सीता के विवाह उत्सव को चित्रित किया गया है। सीता के स्वयंवर में आए राजाओं पर राम की विजय के बाद राजा जनक अपनी पुत्री का विवाह श्रीराम के साथ करते हैं। दशरथ भव्य समारोह में भाग लेने के लिए आते हैं, जैसे देवता आते हैं। मिथिला का विवाह मंडप, जो कुछ समय के लिए युद्ध के मैदान में बदल गया था। नाटक का समापन मिथिला में विजय जुलूस के साथ नहीं, बल्कि अयोध्या में होता है, जहाँ श्रीराम और सीता महल में स्वागत होता है।

कठपुतली नाटक “रावण वध” की शुरुआत भगवान श्रीराम के वनवास और पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने पिता को दिए गए वचन के अनुसार चौदह वर्षों के लिए वनवास से होती है। वन में रावण सीता का हरण कर लेता है। श्रीराम ने श्रीहनुमान को अपनी अंगूठी माता सीता को देने के लिए कहा। श्रीहनुमान ने श्रीराम की अंगूठी के साथ माता सीता को अपना परिचय दिया और फिर उन्हें श्रीराम के सेना सहित आने की सूचना दी  और अंततः भगवान श्रीराम लंका आकर रावण का वध करते हैं ।

समारोह के समापन दिवस 12 अक्टूबर, 2025 को श्री अक्षय भाट एवं साथी- नई दिल्ली द्वारा ढोलामारू/सीता हरण प्रसंग धागा/आधुनिक शैली में प्रस्तुत किया जायेगा। समारोह में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। प्रवेश निःशुल्क है।

वहीं समारोह में प्रतिदिन दोपहर 2.00 बजे से अन्य कठपुतली प्रस्तुतियाँ संयोजित की गई हैं जिसमें दुलारे भट्ट ने पारंपरिक राजस्थानी कठपुतली कला एवं संगीत पर आधारित प्रदर्शन किया। समारोह में प्रतिदिन दोपहर 2.00 बजे से अन्य कठपुतली प्रस्तुतियाँ होगी। जिसमें जगदीश भट्ट – भोपाल द्वारा कठपुतली की प्रस्तुति दी जायेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *