जबलपुर : जिले के किसानों को नरवाई (फसल अवशेष) न जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए एक विशेष जागरूकता रथ बरगी, शाहपुरा, कुंडम और मझौली विकासखंडों में भ्रमण कर रहा है। यह रथ मधुर गीतों और सरल माध्यमों से किसानों को नरवाई जलाने के दुष्परिणामों और उससे होने वाले पर्यावरण तथा मिट्टी के नुकसान के बारे में समझा रहा है। जागरूकता रथ के माध्यम से कृषकों को यह जानकारी भी दी जा रही है कि वे फसल अवशेषों को विभिन्न लाभदायक उपयोगों में कैसे ला सकते हैं। किसानों को सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रीपर, जीरो टिलेज जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करके खेत में शेष नरवाई के बीच ही सीधी बुवाई करने की विधि बताई जा रही है। विशेष रूप से, हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग से नरवाई प्रबंधन के साथ-साथ मिट्टी का स्वास्थ्य सुधरता है और उसकी उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलता है। खुडावल में कार्यशाला: नरवाई के बहुआयामी उपयोगों पर चर्चा इसी क्रम में, मझौली विकासखंड के ग्राम खुडावल में एक दिवसीय नरवाई प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में कृषकों ने भाग लिया। कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने किसानों को नरवाई न जलाने की शपथ दिलाई और इसके बहुआयामी उपयोगों के बारे में विस्तार से बताया। किसानों को बताया गया कि नरवाई का उपयोग केवल खाद बनाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे सीएनजी गैस, बायोफर्टिलाइजर, पैलेट (ईंधन), पैकेजिंग मैटेरियल, मल्चिंग, और यहाँ तक कि दीपावली के इको-फ्रेंडली दिये तथा मूर्तियाँ भी बनाई जा सकती हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर कृषि अभियांत्रिकी विभाग, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, उद्यानिकी (हॉर्टिकल्चर) और मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्होंने मिलकर किसानों को जैविक एवं टिकाऊ खेती की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत भी पैदा करेगी।
नरवाई प्रबंधन: जागरूकता रथ से कृषकों को संदेश, जैविक खेती की ओर कदम

Leave a Reply