संशय के बादल छटे और अंततः मध्य प्रदेश को मुख्यमंत्री के रूप में नया चेहरा मिल ही गया। समाचार पत्रों टीवी चैनल, दावा कर रहे बड़े एवं कई वरिष्ठ नेताओं के अनुमान से परे विधायक दल की बैठक में तीसरी पंक्ति में बैठे मोहन यादव परिणाम आने के बाद प्रथम हो गए। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, संभवतः कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा होगा। हालांकि मोहन यादव मुख्यमंत्री नए बने हैं किंतु ना तो वे प्रदेश की जनता के लिए नए हैं और ना ही राजनीति में। छात्र संघ की राजनीति से अपना करियर प्रारंभ करने वाले डॉक्टर मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार विधायक के रूप में चुनाव जीते हैं,फिर मुख्यमंत्री चुने जाने के पूर्व वे शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की चयन सूची में मोहन यादव हैं तो इसका तात्पर्य यह लगाया जाना चाहिए कि उनकी कार्यप्रणाली को लेकर किसी भी तरह के संशय की गुंजाइश नहीं चाहिए। महाकाल की नगरी उज्जैन में जन्म लिए डॉक्टर मोहन यादव मालवा की संस्कृति में बड़े हुए जहां यह कहा जाता है कि कोई बाहरी व्यक्ति किसी का पता पूछता है और यदि पता बताने वाले के पास समय होगा तो वह उसे घर तक पहुंचाने का प्रयास करेगा, यानी की सहयोगी भावना वहां कूट-कूट कर भरी होती है। डॉक्टर मोहन यादव में भी यह गुण देखे जा सकते हैं, तीन बार एक ही जगह से विधायक चुना जाना संभवत: इसी विचारधारा को सार्थक करता है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब छात्र राजनीति मे प्रदेश स्तर पर चर्चित थे उस समय मोहन यादव उज्जैन की छात्र राजनीति में उभरता हुआ चेहरा माने जाते थे, उन्हें उस समय कभी महाविद्यालयों तो कभी विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं को लेकर जूझते हुए देखा जाता था। इसी जुझारू व्यक्तित्व ने उन्हें वर्ष 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन का सह सचिव बनाया और 1984 में वे वहीं अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। सोशल मीडिया पर प्रसारित उनके व्यक्तिगत विवरण के अनुसार बीएससी एलएलबी एवं एमए के बाद उन्होंने पीएचडी की और मोहन यादव से डॉ मोहन यादव हो गए। इसी दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में नगर मंत्री से प्रदेश मंत्री बनने की राह में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपनी पहचान बनाते हुए प्रदेश की राजनीति का सफर आरंभ किया। वर्ष 2003 से 2023 तक लगातार वे उज्जैन से ही विधायक निर्वाचित हुए हैं। संघ की पाठशाला से अनुशासित डॉ मोहन यादव की लोकप्रियता का अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है कि जब वे मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी गृह नगरी अवंतिका (उज्जैन) पहुंचे तब उनके स्वागत के लिए आतुर सड़कों पर उपस्थित लोगों के बारे में यह कहा गया कि सिंहस्थ के बाद नगर इतनी उपस्थिति पहली बार देखी गयी है। स्पष्ट विचार धारा वाले मध्यप्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ऐतिहासिक तर्क के माध्यम से महाकाल की नगरी में किसी पदासीन मंत्री, राजा के रात्रि विश्राम के मिथक को तोड़कर नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। अब अपेक्षा होगी कि परिवर्तन के इस दौर में सुशासन के साथ प्रदेश की जनता के लिए भी उनकी वही सहयोगी भावना होगी जिसके लिए वे मालवा क्षेत्र में जानी जाते रहे हैं।
मो. : 9425004536
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