होली और मध्य प्रदेश सरकार का बजट देखा जाए तो यह एक सुखद संयोग ही कहा जाएगा। जो दोनों एक ही समय पर अपने रंग बिखेर रहे हैं। लेकिन बजट आम आदमी का है तो यहां यह कहना भी उचित होगा कि, दोनों आम आदमी के लिए महत्वपूर्ण है। होली देशवासियों को अपने विभिन्न रंगों के माध्यम,परस्पर स्नेह से जोड़ने का प्रयास करती है। जिससे उनके जीवन में वर्ष भर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश सरकार ने भी सुविधा रूपी रंगों के बजट के माध्यम से प्रदेशवासियों मे वर्ष 25-26 के लिए नई ऊर्जा करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है। यह प्रयास कितना सफल होगा यह तो भविष्य ही तय करेगा, किंतु होली के अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशवासियों को परोसी गई थाली में रखी सुविधा रूपी गुजिया, पूरन पोली में कितनी मिठास है, नमकीन में मिर्च कितनी है, और इसे तैयार करने में कच्ची सामग्री के साथ कौन से साधनों का उपयोग किया गया है, और क्या यह वर्षभर इसकी खुशबू से हमें सराबोर करती रहेगी ? जो लोग अपने करों का भुगतान समय पर करते हैं उनके लिए सजग रहते हुए यह समझना आवश्यक हो जाता है।
चुनौतियों की बात करें तो प्रदेश ही नहीं वरन् पूरे देश में इस समय बेरोजगारी बड़ी समस्या बनी हुई है। पिछले एक दशक पूर्व की बात करें तो यहां से पढ़े डाॅक्टर, इंजीनियर एवं निवेशक विदेशों की ओर रुख कर रहे थे, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं होगी कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेशी यात्राओं के माध्यम से किए गए प्रयासों के कारण निवेशकों का ध्यान देश की ओर आकर्षित हुआ है। उसी राह में मध्य प्रदेश में भी ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से आने वाले समय में युवाओं के लिए 3 लाख नौकरियां मिलने का दावा किया जा रहा है।
दूसरी चुनौती की यदि हम बात करें जो सड़कों के माध्यम से गांव से शहर के जुड़ाव की है,इस पर जोर देते हुए सरकार ने आर्थिक विकास की बात कही है। गांवों को शहरी क्षेत्र से जोड़ने क्षतिग्रस्त पुलियाओं के पुनर्निर्माण पर जोर दिया गया है । परिणाम स्वरुप अब दूर-दराज की छोटी पंचायतें भी मुख्य सड़कों से जुड़ पाएंगी। इस संबंध में यह कहा जा रहा है कि जिन क्षेत्रों का विकास प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत निर्धारित माप डंडों के कारण नहीं हो पाया था उन्हें संवारने का काम प्रदेश सरकार करने जा रही है। प्रदेशवासियों के लिए यह भी हर्ष की खबर हो सकती है कि रोडवेज बसें अब फिर से दौड़ेंगी, यानी कि निजी बस आॅपरेटर की मनमानी से हमें जल्दी ही छुटकारा मिलने वाला है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ‘सुगम परिवहन सेवा योजना’ के लिए 80 करोड़ का प्रावधान बजट में रखा गया है, जिसके अंतर्गत अंतराज्यीय यातायात नए सिरे से शुरू हो सकेगा।
परिवार का मुखिया कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो फिर भी उसके लिए हर सदस्य को खुश रख पाना कठिन होता है, और तो और इस दिशा में कभी-कभी परिवार के समर्पित सदस्य का योगदान भी गौण दिखाई देने लगता है। गेम चेंजर बनी लाड़ली बहनाओं के खाते में 1250 की राशि तो पहुंची है, यह खबर उनके लिए संतुष्टि वाली भी है,फिर उनके लिए पीएम जीवन ज्योति, पीएम सुरक्षा बीमा और अटल स्कीम से जोड़ने का जिक्र भी बजट में आया,किंतु जो खबरें आ रही हैं उनके अनुसार होली के अवसर पर लाड़ली बहनाओं के चेहरे का रंग थोड़ा सा फीका तो हुआ होगा कि इन योजनाओं के लिए जिनका नामांकन होगा उन्हें मिलने वाली 1250 की मासिक राशि से ही उक्त योजनाओं के लिए बीमा एवं पेंशन की राशि से ही जमा होगी, यानिकी घी गया तो खिचड़ी में ही। लेकिन यह तय है कि इस बार की होली में कर्मचारियों का उत्साह दो गुना बढ़ने वाला है क्योंकि उनका एचआरए 8% से बढ़कर 15% होने वाला है। अब यह मिलने वाली सुविधाओं की राशि कहां से जुटाई जाएगी तो इस प्रश्न का उत्तर कोई मोटी बुद्धि वाला भी दे सकता है कि यदि आपकी जेब खाली है तो आपको व्यवस्था कहीं और से जुटानी होगी। हालांकि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट प्रस्तुत करने के बाद सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज के बारे में सफाई देते हुए कहा है कि यह कर्ज भविष्य के लिए निवेश होगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से जो निवेश आएगा उसके माध्यम से युवाओं के लिए नौकरियां उपलब्ध हो सकेंगी। लेकिन यहां यह बात गले नहीं उतर रही है कि नौकरियां युवाओं को मिलेंगी किंतु समाचारों के अनुसार हर्ष की लहर उद्योगपतियों के बीच है …। अब यदि विशेषज्ञाों की माने तो किसी भी राज्य को अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करनी है तो उसे राजस्व बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित करने पर ध्यान देना होगा। खर्च नियंत्रित करना तो सरकार का काम होगा, और नवाचार करते हुए राज्य में जीरो बेस्ड नीति भी प्रभावित होगी। जिसके अंतर्गत काम कर रही शासकीय एजेंसियों को मांग के अनुसार ही राशि उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन राजस्व बढ़ाने में तो आम आदमी को ही सहयोग करना होगा, मात्र वोट देने से इति श्री यहां नहीं होगी …।
चुंकि पर्व होली का है तो बुरा ना मानों होली है की तर्ज पर यह भी कहा जा सकता है कि होली में जिस प्रकार से दो तरह की विचारधाराओं वाले व्यक्ति प्रकाश में होते हैं जिनके बिना यह पर्व संपन्न नहीं होता – एक जो रंग लगाने और होली खेलने में विश्वास रखते हैं, दूसरा जो इससे परहेज करते हैं और होली खेलने से बचते हैं। ये दोनों विचारधारा तो स्पष्ट हो जाती है किंतु यकीन मानिए जनाब- रंगमंच की भांति इन दो विचारधारा वाले वर्गों के अतिरिक्त एक तीसरा वर्ग भी एक टीम की तरह होता है,जिसे इन सबसे कोई लेना देना नहीं होता है। जबकि रंगमंच में इस तीसरे वर्ग जो कि पर्दे के पीछे काम करता है उसके बिना कोई भी मंचन संभव नही होता है। इसी प्रकार किसी देश या प्रदेश के विकास के लिए कार्यरत योजनाएं जो इस तीसरे वर्ग के लिए भी लाभकारी हैं, प्रतिक्रियास्वरूप इस वर्ग को भी मुख्य धारा से जुड़ना होगा, अन्यथा बांटी जा रही रेवड़ियों के माध्यम से आम आदमी इसी तरह छला जाता रहेगा।
आप सभी को होली एवं रंगपंचमी की शुभकामनाएं।
मो.: 9425004536
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