यतीन्द्र अत्रे,
शनिवार 8 फरवरी को दिल्ली की जनता अदालत का निर्णय चुनाव परिणामों के माध्यम से देश को ज्ञाात हुआ जो कि चौंकाने वाला रहा। तीसरी बार दिल्ली पर राज करने की चाह रखने वाली आप सरकार को वहां के मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया। अंत तक भाजपा से सीएम चेहरे की मांग करते अरविंद केजरीवाल यह नहीं समझ पाए कि,दिल्ली की जनता उनके चेहरे पर क्रास का निशान लगाने वाली है। संभवतःदिल्ली की जनता इस बात से खुश होगी कि अब यमुना स्वच्छ होगी और उससे दिल्ली अधिक निखरेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की प्रचंड जीत के अवसर पर कार्यालय पहुंच कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- आज दिल्ली की जनता ने यह साबित कर दिया है कि देश को तुष्टिकरण की नहीं अब भाजपा की संतुष्टीकरण की नीति पसंद आ रही है।
तीसरी बार हैट्रिक बनाने से चुकी आप सरकार की हार का विश्लेषण हो उससे पूर्व जरूरी यह हो जाता है कि सीएम के नए चेहरे पर चर्चाएं आम हो, वैसे भी राजनीति में आने वाले के स्वागत की तैयारी में जाने वाले की विदाई स्वतः ही हो जाती है। समाचारों के अनुसार हो रही गतिविधियों पर नज़र डालें तो ज्ञाात होगा कि एक ओर भाजपा उपाध्यक्ष पांडा यह कहते नज़र आ रहे हैं कि हमारे पास सामूहिक नेतृत्व है,लेकिन भाजपा के पास जो प्राथमिकताएं होंगी उन पर यदि चर्चा करें तो उनमें सम्भवतः प्रवेश वर्मा सबसे ऊपर होंगे, जिन्होंने केजरीवाल को हराया l वे युवा है साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के पुत्र हैं। वहीं सिख समुदाय से मनजिंदर सिंह सिरसा, विजेंद्र गुप्ता के नामों पर भी चर्चा संभव होगी। दूसरी ओर विशेषज्ञों द्वारा यह कहां जा रहा है कि पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह चौंकाने वाला नाम भी दे सकती है। अब एक नाम और छूटता है वह है सांसद बांसुरी स्वराज का, लेकिन केंद्रीय सदन में 240 वाली सांसदों की सरकार के लिए यह निर्णय चुनौती भरा हो सकता है। इन सब के बीच यदि कुछ तय है तो वह ये है कि दिल्ली को 10 से 15 दिवस की अवधि में एक नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है।
अब जब आप फेम अरविंद केजरीवाल के समक्ष इन चुनाव परिणामों से उपजी पार्टी को बचाने की चुनौती होगी तब वे हर हाल में इसके कारणों पर भी चर्चा करेंगे। इसलिए लिए हम भी इस पर एक दृष्टि डाल ही लेते हैं – वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से चर्चा में आए केजरीवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई, वर्ष 2013 में 28 सीटों की जीत के बाद कांग्रेस के साथ उनकी सरकार बनी। फिर 2015 में 70 में से 67 सीटें जीतकर उन्होंने इतिहास रचा। 2020 में भी वे सत्ता में आए। दिल्ली की जनता के चहेते उनकी आंखों की किरकिरी तब बने जब शीश महल की खबरें सार्वजनिक हुई। जेल जाने से मिली सिंपैथी पर इस खबर के अधिक भारी होने पर दिल्ली असहज हो चली। अरविंद फिर भी विश्वास से भरे थे, सो उन्होंने जेल से निकल कर कहा- मैं जनता की अदालत में जाऊंगा…और जनता ने श्रीमान अरविंद केजरीवाल की मंशा के विपरीत उनकी पार्टी को विपक्ष में बैठने का फैसला सुनाया। अब होगा यह की चुनाव हारने के बाद लंबित पुराने मामलों में भी छूट की संभावना गौण ही होगी, साथ ही यहां एक और बात कही जा सकती है कि राजधानी दिल्ली वासियों के इस निर्णय के से अन्ना हजारे निश्चित रूप से संतुष्ट होंगे।
मो.: 9425004536
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