यतीन्द्र अत्रे
विश्व में भारत की पहचान बनाने वाला महाकुंभ लगभग समाप्ति की ओर है लेकिन आस्था की डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ अभी भी व्यवस्था पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में हुई भगदड़ के कारण 36 मौतों का दर्द अभी कुछ कम नहीं हुआ और एक और दुखद समाचार ने अचंभित कर दिया। समाचारों के अनुसार दिल्ली स्टेशन पर 15 लोगों की मृत्यु होना बताया जा रहा है, 10 महिलाओं, तीन बच्चों एवं दो पुरुषों के नहीं रहने के समाचार आ रहे हैं। और अपुष्ट समाचारों की बात करें तो यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। आमतौर पर जब भी कोई घटना घटती है तब उसके पूर्व इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है, दिल्ली स्टेशन पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। उत्तर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी हिमांशु शेखर ने भी मीडिया को जो बताया, उनके अनुसार शाम 7:00 बजे अप्रत्याशित रूप से भीड़ बड़ी, स्टेशन पर कई ऐसे लोग पहुंचे जिनके पास टिकट भी नहीं थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा हिदायत दी जा रही थी कि जान बचानी है तो वापस लौट जाएं। बावजूद उसके लोग कुछ हो जाने से बेखबर थे। उन्हें तो बस गंगा में डुबकी लगाने की जल्दी थी,जैसे यह अवसर फिर कभी मिलने वाला नहीं है। हालांकि यह सही है कि यह अवसर 144 वर्षों के बाद आया है, लेकिन यदि जान नहीं बची तो बाकी सब गौण रहेगा। यह कौन समझाए ? स्थानीय प्रशासन के द्वारा भी बार-बार यही कहा जा रहा है कि, गंगा में डुबकी जरूर लगाए लेकिन अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखें। प्रयागराज में हुई पिछली घटना से प्रशासन ने तो सबक लिया लेकिन ऐसा लगता है कि श्रद्धालुओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हर हर गंगे कैसा है यह मंजर, जहां हो रही मौतों से भी नहीं लिया जा रहा है सबक। अब होगा यह की परंपरा अनुसार सारी लापरवाही का आरोप प्रशासन के सर मढ़ दिया जाएगा। यहां हमें यह समझना चाहिए कि कितना भी अच्छा प्रबंध हो, एक जगह इतनी संख्या में भीड़ का एकत्र होना जो कल्पना से परे हो, प्रबंधन के सारे प्रयास वहां विफल हो जाएंगे। योगी सरकार के प्रयासों से मौनी अमावस्या की घटना के बाद बिना दुर्घटना के अमृत स्थान की व्यवस्थाएं की गई, उसके लिए सड़क मार्ग से प्रवेश भी रोका गया ताकि एक समय में भीड़ ज्यादा एकत्र न हो, किंतु जो होना था वह स्टेशन पर हो गया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। इसके पूर्व ट्रेन में अभद्रता की घटनाएं सामने आई है, जिसके जिसके चलते ट्रेन के एसी कोच में तोड़फोड़ की गई। ये लोग हमारे बीच से ही हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी किसकी है,यह कभी तय नहीं होगा। प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं को इन स्थितियों को समझकर प्रशासन का साथ देना होगा, ताकि शेष समय में शांतिपूर्वक स्नान कराया जा सके,अन्यथा 144 वर्ष बाद हो रहे महाकुंभ की अच्छी स्मृतियों के साथ अनहोनी घटनाएं भी अंकित होगी।
मो.: 9425004536
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