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सजा उनकी कल्पना से परे होगी

यतीन्द्र अत्रे

हर तरफ यह कहा जाता रहा है कि आतंकवादियों का कोई भी धर्म नहीं होता है, लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई घटना से आतंकवादी क्या संदेश देना चाहते थे यह समझ से परे था। इस घिनौनी घटना ने बहुत ही स्पष्ट संकेत दिए हैं।लेकिन इसका तात्पर्य यह कतई नहीं हो सकता कि वे सभी किसी एक धर्म के बारे में संदेश देना चाहते थे, वरन उनकी सोची समझी साजिश में एक तस्वीर जरूर साफ नजर आती है, जिसके अंतर्गत वे अमन चैन के पक्षधर इस देश में धर्मों के बीच परस्पर दरार पैदा करना चाहते थे। पर देशवासियों ने एकजुट हो यह बता दिया है कि उनकी और उनका संरक्षण देने वाले आकाओं की यह आशाएं कभी पूरी नहीं होगी। 26 पर्यटकों की जान जाने के बाद पूरा देश गुस्से से एवं बदले की आग से जल रहा है, चाहे हिंदू हो मुस्लिम हो या फिर सिख इसाई सभी एक हैं,एक रहेंगे का संदेश इस समय दे रहे हैं। वहीं जिस कश्मीर पर अपना हक जताने का प्रयास करते आ रहे उन आतंकवादियों के विरुद्ध आज कश्मीर में एक ही स्वर में गूंज रहा है कि निर्दोष पर्यटकों की हत्या करने वालों का बदला चाहिए। लगभग 30 वर्षों के बाद ऐसा समय आया था जब कश्मीर फिर स्वर्ग बन रहा था। पर्यटकों की संख्या वहां दिन प्रतिदिन बढ़ रही थी, खुशहाली भी वहां लौट रही थी। आतंकी इसी बात से बेचैन थे इसलिए उन्होंने इस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। आज पूरा देश यह कह रहा है कि अब और नहीं…
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश ने कश्मीर के बारे में एक सपना देखा था। इसी दिशा में घाटी में सब कुछ सामान्य होने लगा था, लेकिन दहशत फैलाने वालों को यही उजला पक्ष रास नहीं आया। प्रधानमंत्री ने कहा है कि जिन्होंने यह हमला किया है उन आतंकियों और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। इस कथन के परिणाम दिखाई भी देने लगे हैं कैबिनेट सुरक्षा कमेटी की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णयों में सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया गया है। यह अब तक का सबसे सख्त कदम बताया जा रहा है। दूसरे निर्णय के अनुसार अटारी-बाघा बॉर्डर को बंद किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना, वायु सेना सलाहकार अवांछित घोषित कर दिए गए हैं, उन्हें अब तत्काल भारत छोड़ना होगा। इसी क्रम में भारत भी पाक से अपने रक्षा, नौसेना, वायु सेना सलाहकारों को वापस बुला रहा है। बताया गया है कि पुलवामा हमले के दौरान भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे। समाचारों के अनुसार गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यों के मुख्यमंत्रीयों को निर्देश दिए हैं कि 27 अप्रैल की समय सीमा के बाद कोई भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में नहीं रहेगा। इस पर अमल आरंभ भी हो चुका है, वही बांग्लादेशी नागरिकों की घर पकड़ भी आरंभ हो चुकी है। उधर पहलगाम हमले के बाद भारत कोई बड़ी कार्रवाई न कर दे, यह डर पाकिस्तान को सताने लगा है। सपाकिस्तान में बौखलाहट नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि वहां अधिकारियों की रातों की नींद उड़ गई है। देश में ऐसे कम अवसर होते हैं जब विपक्ष भी पूरी तरह सरकार के साथ खड़ा दिखाई देता है, विश्व के कर्ईं देश भी आज आतंकवाद के विरुद्ध भारत के साथ हैं। इस समय देशवासियों को यह भरोसा है कि भारत जो भी करेगा वह आतंकवादियों की कल्पना से परे होगा। बस हमें धैर्य रखते हुए सरकार का समर्थन करना होगा।

मो. : 9425004536

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