यतीन्द्र अत्रे,
22 जनवरी 2024 के वे 84 सेकंड जब अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा हुई, पूरा ब्रह्मांड जयकारों से गूंज उठा। निश्चित रूप से यह क्षण स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य होगा। विद्वानों के अनुसार रामलला के मनमोहक स्वरूप में परमात्मा का वास हो गया है। भाग्यशाली होंगे वे सभी लोग जिन्होंने भगवान श्री राम के बालरूप के प्रत्यक्ष दर्शन किए, इसके अतिरिक्त देश दुनिया से टीवी चैनल और दूसरे माध्यमों से देख रहे लाखों दर्शक भी इस छवि को अपलक निहारते रहे। आज भारत के इन्हीं असंख्य लोगों ने विश्व को आभास करा दिया है कि राम हमारे आराध्य हैं और आराध्या रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा है कि – ‘राम आग नहीं ऊर्जा है, राम विवाद नहीं समाधान है’। उन्होंने भारत की न्यायपालिका का आभार भी व्यक्त किया, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ संचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि – अनेक पीढ़ियों ने बलिदान देकर यह आनंद का दिन राष्ट्र को उपलब्ध कराया है। साधुवाद के पात्र है वे लोग जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध पर अपने-अपने क्षेत्र को अयोध्या बनाने का प्रयास किया। असंख्य दीप जले, तो शोभा यात्राएं, ध्वज यात्राएं निकाली गई, मंदिरों में सुंदरकांड, हनुमान चालीसा के पाठ हुए वहीं घरों में दीपावली जैसा आनंद दिखाई दिया। ऐसा चित्रण आखिर क्यों ना हो क्योंकि प्रभु श्री राम भारतवासियों के रज- रज में आज भी बसे हैं। स्नान, ध्यान हो या पूजन का समय हो, घर-घर में प्रभु श्री राम का जाप किया जाता है। देश के अनेक नगरों में जब आपस में मेल मिलाप होता है तब अभिवादन स्वरूप श्रीराम का नाम लिए जाने की परंपरा आज भी विराजमान है। घर में कोई शुभ कार्य हो तब कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम की कृपा है और जब कोई अशुभ घटना होती है तो उस समय कहते हैं- राम राम… क्या हो गया। यानी कि जब कोई उम्मीद ना हो तब भी हम राम का नाम लेकर सकारात्मक की ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं। विद्वानों के मत से यदि कोई व्यक्ति राम नाम का उच्चारण अपने कंठ से करता है तब उसके कंठ के अतिरिक्त पूरे शरीर में एक कंपन की अनुभूति होती है, राम शब्द एक योग भी है जिसके उच्चारण मात्र से शरीर में उत्पन्न व्याधियों का उपचार भी संभव है। रामधुनी तो यहां तक कहते हैं कि राम-नाम जप कर भवसागर को पार किया जा सकता है।
बोलो जय श्रीराम
मो.: 9425004536
Leave a Reply