सारे जहाँ से अच्छा …

यतीन्द्र अत्रे
वर्ष 1984 में अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि उन्हें अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखाई दे रहा है, तब उन्होंने कहा था सारे जहां से अच्छा…। सचमुच हमारा भारत, हमारा हिंदुस्तान सारे जहां से अच्छा है। यहां भावनाओं का समंदर है देश प्रेम का जज्बा है वहीं जीत खुशी भी साथ मिलकर मनायी जाती हैं।
टी-20 विश्व कप के फाइनल मैच में बाराडोसा स्टेडियम में बैठे भारतीय दर्शकों और टीवी, मोबाइल के माध्यम से देख रहे देश के सवा करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हुए रोहित शर्मा के जांबाज खिलाड़ियों ने आखिर विश्व कप की ट्रॉफी अपने नाम कर ही ली। वह दृश्य देखने लायक था जब हमने स्टेडियम में बैठे भारतीय प्रशंसकों को ईश्वर का नाम लेते, अपने मुख से मंत्रों को उच्चारित करते देखा । मैच के दौरान ऐसे क्षण भी आए जब धड़कने रुकती अनुभव हुई। ऐसे प्रशंसक संभावित विश्व में कहीं नहीं होंगे जहां भारतीय खिलाड़ियों के साथ वह भी काल्पनिक रूप से अपने आप को मैदान में खेलते हुए महसूस करते हैं ।28000 दर्शक क्षमता वाले स्टेडियम में हर और देश की आन बान शान बढ़ाने वाला तिरंगा नजर आ रहा था हालांकि अफ्रीकी टीम अपनी रणनीति में सफल दिखाई दे रही थी दक्षिण अफ्रीका के कलासेन ने तो 27 गेंद पर पांच छक्के लगाते हुए 52 रन बनाकर टीम के लिए जीत का बिगुल बजा ही दिया था, उस समय भारत की जीत 5% एवं अफ्रीका की 95% बताई जा रही थी। टॉस हारने के बावजूद गेंदबाजी करते हुए उन्होंने भारतीय टीम को 200 के सुरक्षित आंकड़े तक पहुंचने से बखूबी रोका। यही नहीं ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उनकी रणनीति में भारत के दिग्गज बल्लेबाजों विराट, रोहित और सूर्य कुमार के बल्लों से निकले रनों को सीमित रखना भी सम्मिलित था। एक हद तक वे सफल भी हुए लेकिन कोहली उनकी अपेक्षाओं के विरुद्ध विराट बने रहे। जहां से भारतीय टीम को जीत की एक नई दिशा मिली और गेंदबाजी करते हुए बुमराह, हार्दिक, कुलदीप और अर्शदीप ने उसे मंजिल तक पहुंचा दिया। जीत के श्रेय में सूर्य कुमार का वह कैच भी वर्षों तक याद रहेगा जो उन्होंने बाउंड्री से बाहर छह रनों के लिए जाती गेद को कलाबाजी खाते हुए कैच में परिवर्तित किया। जीत का श्रेय टीम के रणनीतिकारों को भी प्रमुख रूप से जाता है सहज सरल दिखने वाले राहुल द्रविड़ ने आपसी समझ से टीम को जीत के द्वारा तक पहुंचाया।पूर्व में टेस्ट खिलाड़ी होने से T20 टीम के कोच बनने पर प्रश्न चिह्न भी लगा था लेकिन कहा जाता है कि द्रविड़ ने नए खिलाड़ियों को समझा वहीं बदलते परिवेश को भी समझा और आज परिणाम हम सबके सामने है वैसे भी जीत हमारे पक्ष में होती है तब कमियां गिनाने का समय नहीं होता है।अंत भला तो सब भला।आज जब जीत का शंखनाद भारतीय टीम के लिए हुआ है। तो एक बार फिर भारतीय प्रशंसकों ने चारों ओर जीत की खुशी मनाते हुए यह दिखा दिया है कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा…।
मो. : 9425004536

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