प्रण लेने से समस्या कठिन नहीं होगी

बुराई पर अच्छाई की विजय का बिगुल बजाते हुए हम प्रतिवर्ष दशहरा पर्व मनाते हैं। मिठाई बांटते हैं, पटाखे फोड़ते हैं। बार-बार सर काटने के बाद भी बुराई फिर से उत्पन्न हो जाती है। पुतला बनाकर कल्पना रूपी रावण को हम प्रतिवर्ष तो मार देते हैं लेकिन समाज में व्याप्त मानसिक विकृति धारण करने वाले असंख्य रावणों को मारना आज सबसे बड़ी चुनौती  है। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्तियों को सजा दिलाना हम सभी का कर्तव्य है उन घटनाओं के प्रति जनता का आक्रोश भी जायज होता है,और यह भी कई बार सिद्ध हुआ है कि जब जनता आक्रोशित हुई है उसके बाद तंत्र भी सक्रिय हुआ है। लेकिन विडंबना यह है कि अपराधी को सजा दिलाकर हम इति श्री कर लेते हैं। अपराधों की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए आज क्या परिवर्तन लाए जाएं, चर्चा का यह बिंदु महत्वपूर्ण होना चाहिए। कोलकाता, महाराष्ट्र में यौन शोषण की घटनाओं के बाद अब मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। बैरसिया के बाद भोपाल में छोटी बच्चियों के साथ हुई घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती है कि परिवाजनों विशेष कर बच्चों की सुरक्षा के क्या इंतजाम किया जाएं। आज मानसिक विकृति बढ़ाने में सहयोगी  विदेशी फिल्मों की पहुंच कंप्यूटर,मोबाइल तक आसानी से  है। समस्या को संज्ञानता में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय प्रशंसनीय है जिसमें चाइल्ड पाॅर्न डाउनलोड करना, देखना एवं रखना अब  अपराध की श्रोणी में होंगे। तत्परता दिखाते हुए शुक्रवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी सुधीर सक्सेना ने आदतन अपराधियों की जानकारी एकत्रित करने के साथ ही स्कूलों  में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कराने के निर्देश दिए हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए यात्री वाहनों में पैनिक बटन लगाएं जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन का अपराधों को रोकने की दिशा में निरंतर प्रयास जारी है और होना भी चाहिए लेकिन ऐसे अपराधों को रोकना क्या पुलिस और प्रशासन की ही जिम्मेदारी बनती है। यह सही है कि ऐसी प्रवृत्ति वाले अपराधी समाज में इस तरह घुले-मिले होते हैं कि उन्हें ढूंढना कठिन ही नहीं मुश्किल भी है, लेकिन हम सजग तो हो ही सकते हैं। जरा सोचें – इस कामकाजी युग में आवश्यकतानुसार महिला- पुरुष पारिवारिक जिम्मेदारी समझते हुए दोनों काम पर जाते हैं। ऐसी स्थिति में क्या समय का बहाना लेकर हम बच्चों को गुड टच, बेड टच की जानकारी देकर ही तो अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं समझ रहे हैं। बच्चा जब स्कूल जाता है उसको ले जाने वाले वाहन का नंबर,ड्राइवर का नंबर हमारे पास है या नहीं। पारिवारिक सदस्यों के आपस में लगातार संपर्क में रहने से कुशल क्षेम तो मिलती ही है, अपराधियों के हौसले भी पस्त होते हैं। अपराधी की सोच को समझना या उनके इरादे को पूर्व में भांपना भी बहुत ही चुनौती भरा कार्य होता है। लेकिन मोहल्ले में कोई नया परिवार रहने आता है,उसकी जानकारी तो हम रख ही सकते हैं। नियमानुसार किराएदार का वेरिफिकेशन अनिवार्य है,इस  पर भी ध्यान जरूरी है। हमारी सजगता ही हमारी सुरक्षा कवच बन सकती है। एक समय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने अपने आसपास की गंदगी को दूर करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान आरंभ किया था हम सभी जानते हैं कि उसकी सफलता चरम पर रही है।

  कबीर बहुत पहले समाज को संदेश दे गए हैं कि- मन का मैल यदि साफ नहीं है तब तन रगड़-रगड़ कर धोने से कोई लाभ नहीं…

 बच्चों को अपना मित्र बना कर रखें तभी वे अपने साथ दिनभर बिताए पल आपके साथ साझा करेंगे, वे स्कूल में क्लास से मिली छट्टी के दौरान सहपाठियों के साथ होते हैं या नहीं, कोई समस्या उन्हें अकेलेपन की और तो नहीं ले जा रही है। अकेलापन भी दिशा भ्रमित होने के लिए पर्याप्त होता है। ऐसे बच्चे बड़े होकर जिद्दी और मानसिक विकृति के शिकार हो सकते हैं। कल होने वाली घटना को आप आज ही सजग होकर रोक सकते हैं विश्वास रखें यदि प्रण ले तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होगा।

यतीन्द्र अत्रे

मो.: 9425004536

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