जो राष्ट्र की बात करेगा वह जनता पर राज करेगा

यतीन्द्र अत्रे

मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा

यह पंक्तियां अपने आप को आधुनिक अभिमन्यु मानने वाले देवेंद्र फडणवीस ने वर्ष 2019 में व्यक्त की थी उन्होंने उस समय महाराष्ट्र की जनता को बताया था कि- मैं हताश नहीं हूं वरन संघर्ष करूंगा… और आज महाराष्ट्र के मतदाताओं ने उनका साथ दे कर उनकी इस काल जी पंक्तियों को सार्थक बना दिया है।  कहते हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा यह भी ऊंट स्वयं तय करता है और इसका किसी और को पता तक नहीं होता है। लेकिन महाराष्ट्र की जनता ने देश को यह दिखाया है कि मतदाता चाहे तो सब कुछ कर सकता है। हालांकि सफलता के अवसर पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा गया हर वाक्य सही एवं न्याय संगत लगता है फडणवीस की भी यही स्थिति है। लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें जनता ने सिरमोर बनाया है इसलिए जनता के प्रति उनकी चुनौतियां अब और भी बढ़ जाती है, अन्यथा ऊंट की कहावत भी उनकी पंक्तियों के समान कालजयी बन सकती हैं। वे यह भी ना भूले कि नतीजों के एक दिन पूर्व तक महायुति के दिग्गज नेता भी 165 सीटों के आगे आश्वस्थ नही हो पा रहे थे। देखा जाए तो यह सिर्फ महायुति नहीं बल्कि किसी दूसरी पार्टी के नेताओं को भी समझ पाना मुश्किल होगा कि जनता के अंदर ऐसा कौन सा ज्वालामुखी सा प्रवाह दौड़ रहा था जिसने ये परिणाम दिखाए है। अब जबकि भाजपा को महाविजय मिल गई है तब देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं प्रबल होती दिखाई दे रही है, लेकिन खबर यह भी है कि इन तीन दिनों के अंदर यदि महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं होता है तब वहां राष्ट्रपति शासन लग सकता है। अतः भाजपा हाई कमान के लिए सहमति बनाना भी एक बड़ी चुनौती होगी। यहां यह बताना उचित होगा कि फडणवीस को दो बार सीएम बनने का अनुभव है और इस समय भाजपा की झोली में महायुति के द्वारा कुल जीती हुई सीटों में से 132 सीटें देवेंद्र भाई के चेहरे की आभा बढ़ा रही हैं।  अब महाराष्ट्र में महायुती की जीत की बात करें तो विशेषज्ञों के द्वारा तीन बड़े कारण गिनाए जा रहे हैं- पहला लाडली बहना योजना जिसके अंतर्गत कहा जा रहा है कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में 1.3 करोड़ महिलाओं का समर्थन हासिल किया था वहीं महाराष्ट्र में इन लाडली बहनाओं ने चैंकाते हुए दो गुना समर्थन महायुति के पक्ष में दिखाया है।  जीत का दूसरा कारण मराठाओं के साथ अंदर ही अंदर सभी जातियों ने ‘एक है तो सेफ है को सार्थक किया। तीसरा सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के मतदाताओं ने स्थायित्व पर अपना ध्यान केंद्रित किया, देश के साथ महाराष्ट्र का विकास चाहने वाली जनता ने समझदारी यह दिखाई की जिनकी केंद्र में सरकार है उन्हें ही चुन लिया जाए। अब बारी है देश की राजनीति की महाराष्ट्र में महायुती की जीत और उत्तर प्रदेश के परिणामों ने एनडीए के लिए एक नई दिशा तय कर दी है। कटेंगे तो बटेंगे,एक है तो सेफ है जैसे चुभते हुए नारे विरोधी खेमे के साथ दिल्ली में भी हलचल मचाने वाले हैं। प्रधानमंत्री मोदी का भाजपा कार्यालय दिल्ली से एक है तो सेफ हैं का फार्मूला आज देश का महामंत्र बन चुका है उन्होंने यह भी कहा है कि देश का वोटर आज नेशन फस्ट की भावना के साथ है। प्रधानमंत्री के पहुंचने के पूर्व भाजपा के कार्यकर्ता भी जोश में मीडिया के सामने यह कहते हुए नज़र आ रहे थे कि – जो राष्ट्र की बात करेगा वह जनता पर राज करेगा। जनता पर भविष्य में कौन राज्य करेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन महायुति की जीत के साथ उत्तर प्रदेश  हरियाणा के परिणाम यह बता रहे हैं कि मोदी है तो मुमकिन है।

मो.: 9425004536

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