पूरे प्रदेश में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। सर्द हवाओं के कारण मध्य प्रदेश के अधिकतर शहरों में तापमान 10 डिग्री से नीचे बना हुआ है। आमतौर पर सर्दी के मौसम को स्वास्थ् की दृष्टि से बेहतर माना जाता है, ठंड में गर्म कपड़े पहनना एवं स्वादिष्ट व्यंजनों का मजा लेना एक अलग अनुभूति प्रदान करता है। लेकिन इस बार सर्दी के मौसम के आगमन में देशवासियों को एक नई तरह की चिंता में डाल दिया है। बच्चों को स्कूल भेजते समय हिदायत दी जा रही है कि या तो वे मास्क लगाए या मुंह पर कपड़ा रखें, मॉर्निंग वॉक की सैर अब शुद्ध हवा से जहरीली हवा में बदलती जा रही है। सबसे बड़ी चिंता तो इस खबर से है कि सांस संबंधी समस्याओं की दवाओ की मांग भारत में इस वर्ष तेजी से बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों की माने तो अब स्मॉग इकोनामी का समय आरंभ हो रहा है, जिसके अंतर्गत प्रदूषण से बचाव के लिए बने उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है। यह एक डरावना सच है जिसे झूठलाया नहीं जा सकता है, हालांकि यह समस्या अभी देश के बड़े शहरों में है लेकिन यही स्थिति रही तो देश के बाकि शहर भी इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। समाचारों के अनुसार भारत का दिल कहीं जाने वाली दिल्ली के इन दिनों अधिकतर क्षेत्रों में एक नियत समय पर जब यातायात चरम पर होता है, वहां आसपास के रहवासियों को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं केंद्र के आंकड़े बता रहे हैं कि पराली जलाने में मध्य प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से गंभीर हो रही है। दिल्ली की मुख्यमंत्री ने तो अपने बयान में यहां तक कहा है कि प्रदूषण बढ़ने का जिम्मेदार पराली जलाने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश प्रथम है। जबकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पंजाब, हरियाणा में भी पिछले कई वर्षों से पराली जलाने की गतिविधियां होती आई है। लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले से दो गुना बताया गया है। संज्ञाान लेते हुए इसके बाद से यहां प्रशासन ने सख्ती दिखाई है तथा जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्यवाही भी की गई है। यह तो रही प्रशासन की चिंता लेकिन यहां यक्ष प्रश्न यह है कि सिर्फ पराली ही शहरों की हवा खराब कर रही है? जबकि पराली एक नियत समय पर फसल काटने के बाद अवशेष के रूप में ही जलाई जाती है। लेकिन दिल्ली चेन्नई जैसे महानगरों की हवा तो वर्ष भर प्रदूषित होती है। फिर इसके पीछे क्या कारण होंगे ? हम विशेषज्ञा नहीं है फिर भी एक आम व्यक्ति की तरह कारण ढूंढेंगे तब प्रदूषण कम करने में संभवत अपना योगदान भी दे सकेंगे। सबसे पहले शहरों में बढ़ते यातायात के दबाव पर नज़र डालें तो यही बड़ा कारण हमें समझ आएगा। अच्छा होगा डीजल पेट्रोल वाहनों की फिटनेस पर ध्यान दिया जाए। चैराहों पर रेड सिग्नल के समय अपने वाहन को बंद करना समझदारी होगी। क्योंकि एक साथ कईं वाहन जब खड़े होते हैं तब हवा की गुणवत्ता में निश्चित रूप से अंतर आता है। दूसरा यदि हम सहयोग करें तो स्वच्छता में मध्य प्रदेश इस अभियान में अभी अव्वल है किंतु यह स्मार्टनेस अभी कुछ शहरों तक ही सीमित है। पान गुटके की पिक, सिगरेट के धुएं से हमें बाहर निकलना होगा। कचरा वाहन में प्रतिदिन अपने घर का कचरा भेजें जिससे यहां वहां पड़े होने की अपेक्षा एक नियत स्थान पर इसका निष्पादन हो सकेगा। पालतू जानवरों को नियत स्थान पर ही शौच कराएं। यदि स्वयं को दिशा जंगल की आदत है तो वह भी छोडे़। अपनी आदतों को यदि हम सुधारेंगे, संभवतः यही प्रदूषण नियंत्रण में हमारा सबसे बड़ा योगदान होगा।
मो.: 9425004536
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