प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से वर्ष 2015 में 21 जून को विश्व में योग दिवस मनाने की शुरुआत हुई है, जानकारी के अनुसार संबंधित बैठक में 174 देशों में अपनी सहमति जताई थी। कहा जाता है कि योग विद्या भारत की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है। पूजा पाठ धर्म कर्म से जहां आत्म शक्ति प्राप्त होती है वहीं योगाभ्यास से शांति के अतिरिक्त शरीर सदृढ़ भी होता है। जब शरीर सृद्रढ़ एवं स्वस्थ होगा तो सुख-समृद्धि स्वतः ही हमारे साथ होंगी। हम प्रकृति की गोद में पले-बढ़े हैं, योग के माध्यम से प्रकृति के सानिध्य में ही रह कर हम ताउम्र स्वस्थ रह सकते हैं। योग गुरु तजेंद्र सिंह बावल का इस बारे में कहना है कि- योग चिकित्सा के द्वारा गंभीर एवं असाध्य व्याधियों का उपचार आज संभव है, उनके अनुसार जो प्राणवायु हमें जीवित बनाएं रहती है उसी प्राणवायु का उपयोग योग चिकित्सा में स्वस्थ रहने के अतिरिक्त योगासनों के माध्यम से उच्च रक्तचाप माइग्रेन अस्थमा मधुमेह जैसी बीमारियों के रोगियों को ठीक करने में किया जाता है। इस संबंध में योग गुरु महेश अग्रवाल कहते हैं कि योग हमें आध्यात्म की ओर ले जाता है, योगाभ्यास के माध्यम से ‘जो मुझ में है वही सब में है’ का बोध होता है, जिससे जीवन में भाईचारे के साथ आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कोविड महामारी के दौरान योग के महत्व को हम सबने अच्छे से समझा है। जब लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे व्यायाम के लिए पार्क और जिम बंद हो गए थे, तब मन की शांति और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हम सब योगाभ्यास की दिशा में अग्रसर हुए थे। विशेषज्ञाों का मानना है कि जो लोग नियमित योग करते रहे हैं उन पर महामारी का प्रभाव कम रहा और वे शीघ्र ही स्वस्थ हो गए थे। आज अनेक संस्थाएं योग शिक्षा दे रही हैं समय हो तो हम आफ लाइन कक्षा से योग सीख सकते हैं अन्यथा घर बैठे आनलाइन शिक्षा भी ग्रहण की जा सकती है।
तो आइए योग दिवस से हम संकल्प लें …
‘करे योग रहे निरोग’
मो.: 9425004536
करें योग रहें निरोग

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