देशभर के पुजारियों के बीच इस खबर से हर्ष की लहर होगी कि उन्हें अब योजनाबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके अंतर्गत ग्रहपूजा, श्राद्धपूजा तथा मुंडन से लेकर विवाह तक के संस्कारों की जानकारी सम्मिलित होंगी, सबसे अच्छी बात यह होगी कि उनकी पद्धति एवं उनके क्रम की भी उन्हे जानकारी प्रदान की जाएगी। 3 माह के इस प्रशिक्षण में जहां गरुड़ पुराण एवं सत्यनारायण जैसी महत्वपूर्ण कथाओं एवं उनका विधिवत पूजन पाठ कराया जाएगा, वहीं ज्योतिष गणना एवं ग्रह नक्षत्रों के बारे में भी संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के कौशल विकास निगम ने पुजारियों एवं कर्मकांड से जुड़े व्यक्तियों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए एक योजना तैयार की है, जिसके अंतर्गत अगले अठारह महीनों में 1.72 लाख पुजारियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के बिंदुओं में प्रमुख यह होगा कि प्रशिक्षण से जुड़ी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए विश्व हिंदू परिषद जैसी अनेक धार्मिक संस्थाओं को जोड़ा जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार नियमानुसार प्रशिक्षण पर हुए व्यय का भुगतान भी करेगी। देशभर में प्रशिक्षण के लिए पुजारियों के रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हो चुके हैं, जानकारी के अनुसार प्रशिक्षण अवधि 3 से 6 माह तय की गई है जिसमें पूजा-पाठ कर्मकांड आदि में पढ़े जाने वाले मंत्र, श्लोकों का अनुवाद भी सिखाया जाएगा। दक्षिण भारत में यह अवधि 6 माह तथा हिंदी भाषी क्षेत्रों में 3 माह होगी । बताया जा रहा है कि अन्य क्षेत्रों में हिंदी अनुवाद सीखने की आवश्यकता नहीं होगी। भविष्य में पूजा के महत्व को देखते हुए ऑनलाइन कोर्स को भी इस प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जा रहा है। आम तौर पर देखा जाए तो इस तरह के प्रशिक्षण अभी संस्कृत विद्यालयों में दिए जाते हैं जो कि देश में अधिक नहीं है और जो हैं उनका प्रचार-प्रसार नहीं होने से जन सामान्य को जानकारी नहीं होती है। केंद्र सरकार की इस प्रशंसनीय पहल का देशभर में स्वागत किया जा रहा है, यानी कि डॉक्टर इंजीनियर वकील के समान अब शास्त्रों, वेदों का ज्ञान रखने वाले पंडित, पुजारी भी व्यवसायिक स्तर पर अपना कैरियर बना सकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभवतः यह पहला अवसर होगा जहां इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को सम्मान प्राप्त होगा। वर्तमान समय में भारत के अतिरिक्त विदेशों में भी पंडितों, आचार्यों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है, जो संस्कार, कर्मकांड का विधिवत पूजन कराते हैं। यह एक अच्छी पहल है क्योंकि अन्य क्षेत्रों के साथ युवाओं को इस क्षेत्र में भी नए अवसर मिलेंगे।
लेखक रंगकर्मी होने के साथ,
रंग संस्कृति के संपादक है
मो.: 9425004536
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