यतीन्द्र अत्रे
पूरा देश इस समय कारगिल विजय दिवस मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने द्रास घाटी पहुंचकर शहीदों को श्रृद्धांजलि दी है और साथ ही पड़ोसी देश पाकिस्तान को दो टूक चेतावनी दी है कि, उनके नापाक मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे,उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान हमेशा पराजित हुआ है लेकिन उसने अतीत से कुछ नहीं सीखा है। कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में भारत की जीत और भारतीय जवानों को श्रृद्धांजलि और उनकी वीरता को नमन करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के हर उस जवान को समर्पित होता है जिन पर हिंदुस्तानियों को आज भी गर्व है। जानकारी के अनुसार आजादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं 1965, 1971 और फिर 1999 । भारत से हुए हर युद्ध मे मिली करारी शिकस्त के बावजूद पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देकर उनके माध्यम से भारतीय सीमाओं में घुसपैठ करने की नाकाम कोशिश करते रहा है। पिछले दिनों हुई आतंकी घटनाएं इसी और इंगित करती है। छद्म युद्ध के द्वारा पाकिस्तान अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहता है, वह आतंकियों के माध्यम से भारत का ध्यान हमेशा भटकाने का प्रयास करता आया है। और इन घटनाओं में भारतीय सैनिकों ने हमेशा से मुंहतोड़ जवाब दिया है। लेकिन जब गोलियों की बारिश होती है तब इसका नुकसान हमारी सेनाओं को भी उठाना पड़ा है, पिछली घटनाओं में हमारी सेना के कईं अफसर और जवान दोनों शहीद हुए हैं, तो कुछ घायल हुए हैं। क्या इन घटनाओं में हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे? सूत्रों की माने तो इसका उत्तर अब ना में होगा। क्योंकि पिछले दिनों 16 जुलाई को डोडा में चार जवानों की जान लेने वाले तीन आतंकियों का स्क्रैच जारी हो चुका है और इन पर 15 लाख रुपए का इनाम भी रखा गया है। 10 दिनों में 15 मुखबिर पकड़े भी गए हैं और संदिग्धों से पूछताछ भी जारी है। यानी कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सेना अब आतंकियों की रीड तोड़ने में जुट गई है। लेकिन कहते हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता है वे हमेशा छुपकर, घात लगाकर सेना पर वार करते रहे हैं। कईं बार सामान्य नागरिक भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। कारगिल युद्ध विजय के बाद भी यही कहा जा रहा था कि आतंकियों का सफाया हो चुका है लेकिन फिर ये हिंदी फिल्मों की कहानी की भांति सिर उठा घिनौनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार 500 ऐसी प्राकृतिक गुफाएं मिली है जहां आतंकी हमले के बाद छुप जाते हैं। जंगल में भी सीमा से जुड़े कुछ ऐसे रास्ते मिले हैं जहां से आतंकी बे रोक टोक आ जा रहे हैं। सीमा पर सशस्त्र बल तो अपने स्तर पर प्रयास करते हैं लेकिन सरकार को भी इस दिशा में कोई सख्त निर्णय लेना चाहिए जिससे स्थाई समाधान ढूंढा जा सके। हालांकि बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस ऑपरेशन की निगरानी निरंतर की जा रही है उम्मीद है कोई स्थाई समाधान निकाल कर आएगा।
मो.: 9425004536
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